प्रभु का प्रेम ही जीवन का सच्चा रस है। जिस मन में यह प्रेम नहीं, वह सूना मरुस्थल सा है, और ऐसे मन वालों से दूरी ही भली। जहाँ प्रभु का स्मरण न हो, वह स्थान खालीपन से भरा है; वहाँ मन को ठहरने की कोई वजह नहीं।
ईश्वर हर पल, हर जगह बस्ता है—हर फूल में, हर साँस में। जो मन उसे अपने हृदय में बसाए, वह स्वयं प्रभु का मंदिर बन जाता है। ऐसे भक्तों का साथ अनमोल है, क्योंकि वे प्रभु की सजीव मूर्ति हैं। उनके संग से कभी मुँह नहीं मोड़ना चाहिए।
संसार में प्रेम तो सभी करते हैं, पर प्रभु से प्रेम करने में पीछे हट जाते हैं। जिसके मन में यह प्रेम नहीं जागता, उसका साथ जीवन को बोझिल करता है। जैसे प्यासा जल के बिना तड़पता है, वैसे ही मन प्रभु के प्रेम बिना अधूरा रहता है।
कामनाओं का जाल मन को उलझाता है, जैसे रोग शरीर को कमजोर करते हैं। जो इस जाल में फँसा, वह प्रभु से दूर हो जाता है। ऐसे लोगों के बीच रहना मन को अशांत करता है। इसलिए मन को प्रभु के चरणों में बाँधो, ताकि हर पल उनके प्रेम में डूबा रहे।
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।