उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर

उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर

उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर,
पश्चिम में साधु मौन साधे
पूरब में नाच रहे प्रेत सुंदर,
दक्षिण में जीव अघोर सजाते।

शमशान सजे दीपों से,
अंधकार में अग्नि जले,
कण-कण में मंत्र उभरे,
मौन में भी नाद चले,
शिव के संकेत जहां,
काल वहीं विश्राम करे,
संहार से सृजन निकले,
महाकाल का खेल चले।

उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर,
पश्चिम में साधु मौन साधे,
पूरब में नाच रहे प्रेत सुंदर,
दक्षिण में जीव अघोर सजाते।

तू खोजे शिव को मंदिर में,
वो बैठे शमशान की धूल में,
तू साधे जप माला,
वो लय हो कंठ की गूंज में,
ना रूप है, ना रंग कोई,
बस शून्य की छवि में झलके,
जो मिट गया अंधकार में,
वही उजाले में दमके।

उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर,
पश्चिम में साधु मौन साधे,
पूरब में नाच रहे प्रेत सुंदर,
दक्षिण में जीव अघोर सजाते।

राख से लिपटे योगी,
नाद में खोए अघोरी,
श्वासों से गूंजे मंत्र,
नश्वरता के प्रहरी,
शिव सत्य है शिव शून्य है,
शिव की महिमा अपरम्पार,
जो सध गया इस अग्नि में,
वही हुआ निर्विकार।

उत्तर में जल रही चिताएं परस्पर,
पश्चिम में साधु मौन साधे,
पूरब में नाच रहे प्रेत सुंदर,
दक्षिण में जीव अघोर सजाते।

भगवान शिव को श्मशान वासी कहते हैं। वे श्मशान में ध्यान लगाते हैं। यह जीवन और मृत्यु एक सत्य है। इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए। शिव हमें मोह-माया से दूर रहने और आत्मज्ञान की ओर बढ़ने की शिक्षा देते हैं। वे भूत-प्रेतों के स्वामी हैं। वे सभी को समान रूप से स्वीकारते हैं। उनका श्मशान में निवास यह भी सिखाता है कि मृत्यु के भय से मुक्त होकर जीवन जीना चाहिए। जय शिव शंकर।


महाकाल का शमशान खेल | Shmashan Bhajan | शिव तांडव | Aghori Bhakti | Shiv Bhajan 2025

ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post