संतो काई आवे रे काई जाय भजन

संतो काई आवे रे काई जाय भजन

संतो काई आवे रे काई जाय,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।

पाणी रो नर बणो बुलबुलो,
धर्यो आदमी नाम,
कौल किया था हरि भजन को,
आय बसायो अपणो गांव,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।

हस्थी छूटया ठाण से रे,
लसकर पड़ी पुकार,
दस दरवाजा बंद पड़ा है,
निकल चलो असवार,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।

जैसे पाणी ओस का रे,
वेसो यो संसार,
झिलमिल-झिलमिल हो रही रे,
जाता ने लागे कोनी बार,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
झूठो जग संसार,
राम नाम की नाव बना लो,
उतरो भवजल पार,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।

संतो काई आवे रे काई जाय,
बोले रे ज्यारी खबर करो।।


संतों काई आवे रे काई जाय // बोले रे ज्याकी खबर करो// Bhajan Singar Dr Babulal Saini//

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यह संसार एक सराय है, जहाँ लोग आते-जाते हैं, पर सच्ची खबर वही पाता है, जो मन को हरि भजन में रमाए। मनुष्य ने जन्म लिया, पर हरि की भक्ति का कौल भूलकर अपने गांव-गृहस्थी में उलझ गया। जैसे बुलबुल पानी का बुलबुला बनकर क्षणभंगुर है, वैसे ही यह जीवन भी ओस की बूँद-सा नश्वर है, जो झिलमिल करता हुआ पल में बिखर जाता है।  

जैसे हाथी ठान से छूटने पर हाहाकार मचता है, वैसे ही मन के बंधन टूटने पर संसार की माया पुकारती है। पर दसों दरवाजे बंद हैं—केवल हरि का नाम ही वह घोड़ा है, जो भवसागर से निकाल सकता है। कबीर की वाणी यह जगा रही है कि यह जग झूठा है, राम नाम की नाव ही सच्चा सहारा है।  

एक संत कहेगा, हरि भजन ही जीवन का सार है। एक चिंतक देखता है कि यह संसार क्षणिक चमक है, जो मन को भटकाती है। एक धर्मगुरु सिखाता है कि राम नाम को अपनाकर ही आत्मा भवसागर पार कर सकती है। सच्ची खबर वही, जो मन को माया से हटाकर प्रभु की शरण में ले जाए, क्योंकि यही वह मार्ग है, जो अनंत की ओर जाता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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