यह संसार एक सराय है, जहाँ लोग आते-जाते हैं, पर सच्ची खबर वही पाता है, जो मन को हरि भजन में रमाए। मनुष्य ने जन्म लिया, पर हरि की भक्ति का कौल भूलकर अपने गांव-गृहस्थी में उलझ गया। जैसे बुलबुल पानी का बुलबुला बनकर क्षणभंगुर है, वैसे ही यह जीवन भी ओस की बूँद-सा नश्वर है, जो झिलमिल करता हुआ पल में बिखर जाता है।
जैसे हाथी ठान से छूटने पर हाहाकार मचता है, वैसे ही मन के बंधन टूटने पर संसार की माया पुकारती है। पर दसों दरवाजे बंद हैं—केवल हरि का नाम ही वह घोड़ा है, जो भवसागर से निकाल सकता है। कबीर की वाणी यह जगा रही है कि यह जग झूठा है, राम नाम की नाव ही सच्चा सहारा है।
एक संत कहेगा, हरि भजन ही जीवन का सार है। एक चिंतक देखता है कि यह संसार क्षणिक चमक है, जो मन को भटकाती है। एक धर्मगुरु सिखाता है कि राम नाम को अपनाकर ही आत्मा भवसागर पार कर सकती है। सच्ची खबर वही, जो मन को माया से हटाकर प्रभु की शरण में ले जाए, क्योंकि यही वह मार्ग है, जो अनंत की ओर जाता है।
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