केहि समुझावौ सब जग अन्धा भजन

केहि समुझावौ सब जग अन्धा भजन

 
Kehi Samujhavo Sab Jag Andha Bhajan

केहि समुझावौ सब जग अन्धा,
इक दु होयॅं उन्हैं समुझावौं,
सबहि भुलाने पेटके धन्धा,
पानी घोड पवन असवरवा,
ढरकि परै जस ओसक बुन्दा,
गहिरी नदी अगम बहै धरवा,
खेवन- हार के पडिगा फन्दा,
घर की वस्तु नजर नहि आवत,
दियना बारिके ढूॅंढत अन्धा,
लागी आगि सबै बन जरिगा,
बिन गुरुज्ञान भटकिगा बन्दा,
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
जाय लिङ्गोटी झारि के बन्दा,
 

Main Kehi Samjhaun Sab Jag Andha

कबीर कहते हैं, इस अंधे संसार को मैं किसे समझाऊँ? यदि एक-दो समझदार हों, तो उन्हें समझाऊँ, पर सभी पेट भरने के धंधे में भटक रहे हैं। पानी में घोड़ा और हवा में सवारी की तरह लोग स्थिर नहीं हैं। जैसे ओस की बूँदें गिरती हैं, वैसे ही जीवन क्षणभंगुर है। गहरी नदी की धारा अगम है, और लोग उसमें नाविक के बिना फँस गए हैं। घर की चीज़ें पास होने पर भी दिखाई नहीं देतीं, जैसे अंधा दीया जलाकर ढूँढता है। अज्ञान की आग में सारा जंगल जल रहा है, और बिना गुरु के ज्ञान के मनुष्य भटक रहा है। कबीर कहते हैं, हे साधु भाइयों, सुनो—यह शरीर लंगोटी की तरह झाड़कर चला जाएगा।
 
केहि समुझावौ सब जग अन्धा भजन संत कबीर की अमर वाणी पर आधारित सुंदर भजन है, जो जीवन की सच्चाइयों को सरल पर गहन शब्दों में प्रस्तुत करता है। इस भजन को भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित अनूप जलोटा ने अपनी मखमली आवाज़ में गाया है, जिससे कबीर के दोहों का अर्थ और भी गहरा हो जाता है।

यह भजन संत कबीर के उस दर्शन को दर्शाता है जहाँ वे संसार की माया और मोह-मोह में फंसे लोगों को जागृत करने का प्रयास करते हैं। अनूप जलोटा की आवाज़ में यह भजन श्रोताओं को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है। संत कबीर की यह अमर वाणी हमें सच्चे ज्ञान की ओर ले जाती है। 
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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