मुखड़ा क्या देखे दर्पण में भजन
तेरे दया धरम नहीं मन में
कागज की एक नाव बनाई,
छोड़ी गंगा-जल में
धर्मी कर्मी पार उतर गये,
पापी डूबे जल में
आम की डारी कोयल राजी,
मछली राजी जल में
साधु रहे जंगल में राजी,
गृहस्थ राजी धन में
ऐंठी धोती पाग लपेटी,
तेल चुआ जुलफन में
गली-गली की सखी रिझाई,
दाग लगाया तन में
पाथर की इक नाव बनाई,
उतरा चाहे छिन में
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो,
चढ़े वो कैसे रन में
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में,
तेरे दया धरम नहीं मन में
इस भजन का सन्देश है की सिर्फ अपने बाहरी रूप को देखना और उस पर गर्व करना पर्याप्त नहीं है, सच्ची भक्ति तो शुद्ध हृदय से संभव हो पाती है। हमें अपने भीतर के दया और धर्म को स्थान देना चाहिए। अगर हमारे मन में दया और धर्म नहीं है, तो दर्पण में अपना चेहरा देखना व्यर्थ है। क्योंकि दर्पण हमें सिर्फ हमारे बाहरी रूप को दिखाता है, हमारे भीतर के गुणों को नहीं।
चेतावनी भजन : चेतावनी भजन एक धार्मिक गीत होता है जो मन को चेतावनी देने के उद्देश्य से गाया जाता है। यह भजन लोगों को धार्मिक तत्वों, नैतिकता, उच्च मार्ग और सही जीवन शैली के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता है। इसके माध्यम से मन को शांति, प्रेरणा और धार्मिकता की अनुभूति होती है। चेतावनी भजन में अक्सर उच्चारण, संगीत और भक्ति भावना का संगम होता है जो लोगों को आध्यात्मिकता की ओर प्रवृत्त करता है।
⇨Title : Mukhda Kya Dekhe Darpan Mein
⇨Album : Mukhda Kya Dekhe Darpan Mein
⇨Singer : Prakash Gandhi
⇨Music : Gandhi Brothers
⇨Composer :- Subhash Gandhi
⇨Lyrics : Sant Kabirdas
⇨Music Label : Power Music Company
⇨Category : Bhajan
⇨Sub Category : Devotional
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Author - Saroj Jangir
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