मुखड़ा क्या देखे दर्पण में भजन लिरिक्स Mukhda Kya Dekhe Darpan Me Lyrics
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में भजन लिरिक्स Mukhda Kya Dekhe Darpan Me Lyrics
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में,
तेरे दया धरम नहीं मन में
कागज की एक नाव बनाई,
छोड़ी गंगा-जल में
धर्मी कर्मी पार उतर गये,
पापी डूबे जल में
आम की डारी कोयल राजी,
मछली राजी जल में
साधु रहे जंगल में राजी,
गृहस्थ राजी धन में
ऐंठी धोती पाग लपेटी,
तेल चुआ जुलफन में
गली-गली की सखी रिझाई,
दाग लगाया तन में
पाथर की इक नाव बनाई,
उतरा चाहे छिन में
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो,
चढ़े वो कैसे रन में
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में,
तेरे दया धरम नहीं मन में
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में | Mukhda Kya Dekhe Darpan Mein | Prakash Gandhi | New Bhajan 2021
इस भजन का सन्देश है की सिर्फ अपने बाहरी रूप को देखना और उस पर गर्व करना पर्याप्त नहीं है, सच्ची भक्ति तो शुद्ध हृदय से संभव हो पाती है। हमें अपने भीतर के दया और धर्म को स्थान देना चाहिए। अगर हमारे मन में दया और धर्म नहीं है, तो दर्पण में अपना चेहरा देखना व्यर्थ है। क्योंकि दर्पण हमें सिर्फ हमारे बाहरी रूप को दिखाता है, हमारे भीतर के गुणों को नहीं।