मेरी कुलदेवी माँ का दरबार सुहाना

मेरी कुलदेवी माँ का दरबार सुहाना है

(मुखड़ा)
तेरा रूप सुहाना है,
श्रृंगार सुहाना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।


(अंतरा)
तेरे माथे पर मैया,
रंग लाल चुनर सोहे,
तेरी रखड़ी और टीका,
हम सबका मन मोहे,
सिंदूरी बिंदिया का,
कायल ये जमाना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।

प्यारी लागे नथनी,
तेरे कानों की बाली,
तेरी आँखों का कजरा,
और होठों की लाली,
गल हार ये नौलखा,
चेहरा भी नूराना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।

तेरे सोहे बाजूबंद,
कंगना भी प्यारे हैं,
मेहंदी से रचे माँ के,
नख-हाथ दुलारे हैं,
तन है माँ का सुंदर,
मन दया का खजाना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।

तेरे पैरों की पायल,
मेरे दिल में खनकती है,
तेरी कृपा की बूंदें,
दिन-रात बरसती हैं,
मैया तेरी रहमत का,
'सुभाष' दीवाना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।

(पुनरावृति)
तेरा रूप सुहाना है,
श्रृंगार सुहाना है,
मेरी कुलदेवी माँ का,
दरबार सुहाना है।।
 

Kuldevi Maa Song | कुलदेवी भजन |Kuldevi Bhajan|Kuldevi Ka Bhajan |Kuldevi Song |Kuldevi Song Hindi

Singer -Heena Bhati
Flute- Suresh Bhat
Lyrics -Vishnu Vikram
Music - Vishnu Vikram

कुलदेवी माँ का रूप मन को हर लेता है, जैसे सुबह की पहली किरण दिल में उजाला बिखेर दे। उनका श्रृंगार—लाल चुनर, सिंदूरी बिंदिया, नथनी, और नौलखा हार—ऐसा है कि सारी दुनिया कायल हो जाए। हर आभूषण, चाहे कानों की बाली हो या पैरों की पायल, उनके दैवीय सौंदर्य को और निखारता है, मानो हर खनक में माँ की कृपा गूंजती हो।

उनके मेहंदी रचे हाथ दया के आलम को दर्शाते हैं। एक बार एक भक्त, जिसका परिवार मुश्किल में था, माँ के दर पर सिर झुकाने आया। उसने बस माँ की चौखट छुई, और घर में सुख-शांति लौट आई। ऐसा है माँ का करम, जो बिना मांगे सब कुछ दे देता है।

उनकी आँखों का काजल और होठों की लाली मन में भक्ति जगा देती है। उनका दरबार वो ठिकाना है, जहाँ दुख भूल जाते हैं और मन माँ की रहमत में डूब जाता है। ‘सुभाष’ की तरह हर भक्त बस यही चाहता है कि माँ की कृपा की बूंदें सदा बरसती रहें, क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा सुकून है।

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