धुणो तप राम को होव कोई बड़ भागी
धुणो तप राम को होव कोई बड़ भागी नाथ जी भजन
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी,जानें साँचा सतगुरु मिलिया, बाँकी सुरता जागी,
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी।
इस धूणे पर मीरां तप गयी तप गया सजन कसाई,
सुआ पढ़ावत गणिका तापी जांकि लगन राम स लागी,
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी।
इस धूणे पर सुरां तप गया तप गया सेना नाई,
नामदेव जी ऐसा ताप्या जांकि लगन राम से लागी,
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी।
इस धूणे पर गोरक्ष तप गया तप गया नानक साईं,
गोपीचंद भरथरी ताप्या जांकि लगन राम से लागी,
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी।
इस धूणे पर नरसी तप गया तप गयी करमा बाई,
दास कबीरा ऐसा ताप्या जांकि लगन राम से लागी।
धुणो तपे राम को होव कोई बड़ भागी।
राम के नाम का धूणा वह अग्नि है, जो मन को तपाकर उसे निर्मल बनाती है। यह तप सौभाग्यशालियों का है, जिन्हें सच्चा सतगुरु मिलता है और जिनकी चेतना जाग उठती है। मीरा इस धूणे पर तपी, सजन कसाई ने तप किया, गणिका ने राम की लगन में डूबकर मोक्ष पाया। सुरदास, सेना नाई, नामदेव, गोरखनाथ, नानक, गोपीचंद, भरथरी—सबने राम के नाम में तपकर जीवन को सार्थक किया।
नरसी और कर्मा बाई ने भी यही राह पकड़ी, और कबीर ने तो हर सांस में राम को बुन लिया। यह धूणा कोई साधारण आग नहीं, यह प्रेम और भक्ति की ज्योति है, जो अहंकार को जलाकर आत्मा को राम से जोड़ती है। जो इस नाम में डूबता है, वह सच्चा तपस्वी है, क्योंकि राम की लगन ही जीवन का सबसे बड़ा भाग्य है। बस, मन को इस धूणे पर तपने दे, सारा बंधन छूट जाएगा।
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Author - Saroj Jangir
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