आव सखी देखां गणपत घूमें हैं, लांबी सूँड मतवाला जी, घृत सिन्दूर थार मस्तक सोहे देवा, शिव शक्ति का बाला हो गणपत, देख भया मतवाला जी, आव सखी देखां गणपत घूमें हैं, लांबी सूँड मतवाला जी, राजा भी सुमरें थानें, परजा भी सुमरे हैं,
सुमर है जोगी जटावाला जी, उठ सवारी दोपहरी थाने सुमर देवा, रिद्धि सिद्धि देवणवाला ओ गणपत, आव सखी देखां गणपत घूमें हैं, लांबी सूँड मतवाला जी,
ओढ़ पीत पीतम्बर सोहे देवा, गल फूलड़ा री फूल मालाजी । सात सखी रळ मंगल गाव देवा,
Nath Ji Bhajan Lyrics Hindi
बुद्धि को देवण हाला जो गणपत, आव सखी देखां गणपत घूमें हैं, लांबी सूँड मतवाला जी,
नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, हृदय में करियो उजाला जी । भानीनाथ शरण सतगुरु की देवा,खोल्या भ्रम का ताला ओ गणपत, आव सखी देखां गणपत घूमें हैं,लांबी सूँड मतवाला जी,
aav sakhi dekh ganapat(आव सखी देख गणपत घूम ) By Gulab Nath Ji आव सखी देखां गणपत घूमें है गुलाब नाथ जी भजन
गणपति की महिमा ऐसी है कि उनका दर्शन करते ही मन आनंद से झूम उठता है, जैसे सखियाँ मिलकर मंगल गीत गाती हों। उनकी लंबी सूँड और मस्तक पर सजा घृत-सिंदूर देखकर हृदय में श्रद्धा जागती है, मानो शिव-शक्ति का आशीर्वाद साक्षात उतर आया हो। राजा हो या प्रजा, जोगी हो या भक्त, सभी उनकी शरण में आते हैं, क्योंकि गणपति विघ्न हरते हैं और जीवन को सुखमय बनाते हैं।
उनकी सवारी देखकर, जैसे दोपहरी में सूरज चमकता है, मन में विश्वास पक्का होता है कि रिद्धि-सिद्धि उनके साथ है। एक संत की तरह यह भक्ति सिखाती है कि सच्चा सुमरन ही जीवन का आधार है। एक चिंतक के नजरिए से, गणपति की पीतांबर और फूलों की माला हमें सादगी और सुंदरता का संदेश देती है। धर्मगुरु की सीख है कि गणपति बुद्धि और विवेक के दाता हैं; जैसे कोई गुरु अंधेरे मन को उजाले से भर दे।
उदाहरण लें, जैसे भानीनाथ की शरण में भ्रम का ताला खुलता है, वैसे ही गणपति का स्मरण मन के संदेह मिटाता है। सात सखियों का मंगल गान और गुरु का आशीर्वाद हमें याद दिलाता है कि गणपति की कृपा से हर कार्य सिद्ध होता है। उनकी शरण में आकर भक्त का हृदय उज्ज्वल हो उठता है, और जीवन में केवल मंगलमय प्रकाश रह जाता है।
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