भजन बिना कोई न जागै रे लिरिक्स Bhajan Bina Koi Na Jaage Re Lyrics

भजन बिना कोई न जागै रे लिरिक्स Bhajan Bina Koi Na Jaage Re Lyrics Vikas Nath Ji Bhajan Lyrics Nath Ji Bhajan Singer Vikas Nath Ji


Latest Bhajan Lyrics

भजन बिना कोई न जागै रे, लगन बिना कोई न जागै रै,
तेरा जनम जनम का पाप करेड़ा, रंग किस बिध लागे रै,
संता की संगत करी कोनी भँवरा, भरम कैयाँ भागै रै,
राम नाम की सार कोनी जाणै, बाताँ मे आगै रै,
या संसार काल वाली गीन्डी, टोरा लागे रै,
गुरु गम चोट सही कोनी जावै, पगाँ ने लागे रै,
सत सुमिरण का सैल बणाले, संता सागे रै,
नार सुषमणा राड़ लडै जद, जमड़ा भागै रै,
नाथ गुलाब सत संगत करले, संता सागे रै,
भानीनाथ अरज कर गावै, सतगुराँजी के आगै रै,
Bhajan Bina Koee Na Jaagai Re, Lagan Bina Koee Na Jaagai Rai,
Tera Janam Janam Ka Paap Kareda, Rang Kis Bidh Laage Rai,
Santa Kee Sangat Karee Konee Bhanvara, Bharam Kaiyaan Bhaagai Rai,
Raam Naam Kee Saar Konee Jaanai, Baataan Me Aagai Rai,
Ya Sansaar Kaal Vaalee Geendee, Tora Laage Rai,
Guru Gam Chot Sahee Konee Jaavai, Pagaan Ne Laage Rai,
Sat Sumiran Ka Sail Banaale, Santa Saage Rai,
Naar Sushamana Raad Ladai Jad, Jamada Bhaagai Rai,
Naath Gulaab Sat Sangat Karale, Santa Saage Rai,
Bhaaneenaath Araj Kar Gaavai, Sataguraanjee Ke Aagai Rai,

Vikash nath ji bhajan //जरूर सुने भजन बिना कोई न जागे रे

बस बात जरासी, होसी लिखी रे तकदीर॥टेर॥
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर॥1॥
तूँ क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे
तूँ सोवे तो भी या जागे थ्यावस ले ले मेरा बीर॥2॥
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर॥3॥
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर॥4॥
नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥टेर।
हरि की माला ऐसे रटणी, जैसे बांस पर चढज्या नटनी
मुश्किल है या काया डटनी, डटै तो परले तीर॥1॥
गऊ चरणे को जाती बन मे, बछडे को छोड़ दिया अपणे भवन मे
सुरत लगी बछड़े की तन मे, जैसे शोध शरीर॥2॥
जल भरने को जाती नारी, सिर पर घड़ो घड़ै पर झारी
हाथ जोड़ बतलावे सारी, मारग जात वही॥3॥
गंगादास कथै अविनाशी, गंगादास का गुरु संयासी
राम भजे से कटज्या फांसी, कालु राम कहीं॥4॥

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