भोले दानी रे भोले दानी भोले निराला
भोले दानी रे भोले दानी भोले निराला
सदा अपने भक्तो को भोले उबारे,
भसम भभूति तन पर राजे,
नाग गले में डाले,
पिते हो नित भांग के भर भर,
भोले जी तुम प्याले।।
भोले दानी, रे भोले दानी,
भोले दानी भोले दानी,
भोले निराला,
पिए सदा भंगिया का प्याला,
हे काले काले, रे काले काले,
काले काले सर्पो की माला को,
अपने गले में है डाला,
जो चाहे मांगो जो चाहे लेलो,
हिरा मोती सोना चाँदी,
सब देने वाला,
भोले दानी भोले दानी।।
भोले बाबा जी के सब है पुजारी,
नर हो या नारी ये सब संसारी,
दर के भिखारी रे,
सारे भक्तो के हितकारी,
त्रिशूल धारी भोले भंडारी,
नंदी वाले नाग धारि,
अब तक किसी को भी करके निराशा,
उसने कभी अपने दर से ना टाला,
भोले दानी भोले दानी।।
भोले दानी रे भोले दानी,
भोले दानी भोले दानी,
भोले निराला,
पिए सदा भंगिया का प्याला,
हे काले काले, रे काले काले,
काले काले सर्पो की माला को,
अपने गले में है डाला,
जो चाहे मांगो जो चाहे लेलो,
हिरा मोती सोना चाँदी,
सब देने वाला,
भोले दानी भोले दानी।।
सबसे बड़े जग में है वही ज्ञानी
भोले वरदानी त्रिशूल पाणी,
शिव औघड़ दानी को,
गाते है सब जिनकी वाणी,
ये जग के प्राणी पंडित और ज्ञानी,
राजा रानी जोगी ध्यानी,
जपता सदा है लख्खा जिनकी माला,
कहलाता है जो शिव डमरू वाला,
भोले दानी भोले दानी।।
भोले दानी रे भोले दानी,
भोले दानी भोले दानी,
भोले निराला,
पिए सदा भंगिया का प्याला,
हे काले काले, रे काले काले,
काले काले सर्पो की माला को,
अपने गले में है डाला,
जो चाहे मांगो जो चाहे लेलो,
हिरा मोती सोना चाँदी,
सब देने वाला,
भोले दानी भोले दानी।।
भोले बाबा दुखियों और दीनों का सहारा हैं, जो अपने भक्तों को हर संकट से उबारते हैं। उनकी सादगी और अलौकिक स्वरूप, जैसे भस्म से सजा तन, गले में सर्पों की माला और भांग का प्याला, यह दर्शाता है कि सच्चा दान और प्रेम सांसारिक वैभव से परे है। उदाहरण के लिए, जैसे एक साधु अपनी सारी सम्पत्ति त्यागकर केवल भक्ति में लीन रहता है, वैसे ही भोले बाबा बाहरी आडंबरों से मुक्त होकर भक्तों के हृदय में वास करते हैं।
भोले बाबा का दरबार सबके लिए खुला है, चाहे वह नर हो, नारी हो, राजा हो या रंक। उनकी कृपा ऐसी है कि कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं लौटता। यह उदारता सिखाती है कि सच्चा धर्म दूसरों के दुख को दूर करना है। जैसे एक माता अपने बच्चों की हर इच्छा पूर्ण करती है, वैसे ही भोले बाबा अपने भक्तों को हीरे-मोती, सुख-समृद्धि, और सबसे बढ़कर आत्मिक शांति प्रदान करते हैं।
भोले बाबा का त्रिशूल और डमरू सत्य और संतुलन का प्रतीक है। वह न केवल भौतिक सुख देते हैं, बल्कि ज्ञान और मुक्ति का मार्ग भी दिखाते हैं। पंडित, जोगी, और साधारण प्राणी सभी उनकी भक्ति में एकसमान हैं, जो यह प्रदर्शित करता है कि सच्ची भक्ति में कोई भेदभाव नहीं। जैसे एक नदी सभी को समान रूप से जल देती है, वैसे ही भोले बाबा का आशीर्वाद सभी पर बरसता है।