भोले की बस्ती छायी मस्ती

भोले की बस्ती छायी मस्ती

भोले की बस्ती छाई है मस्ती, डीजे रहा बाज,
आज मने नाचन दे, नाचन दे मने आज।।

दम है जिस भोले में, वो सौ-सौ की शर्त लगा ले,
नैन मिलाने में क्या रखा, धमका साथ लगा ले।
लगा के एक दम, बोल के “बम बम”, छोड़ शर्म-लाज,
आज मने नाचन दे, नाचन दे मने आज।।

भोला मस्त मलंगा मेरा, मैं तो उसकी भोली,
दो लोटे भंगियाँ की पी गई, ऐसी मैं अलबेली।
नाचूं छमाछम मैं तो दमादम, मेले में मेरा राज,
आज मने नाचन दे, नाचन दे मने आज।।

काले बदरा उमड़-घुमड़ के बरसाएं चाहे पानी,
चाहे गर्मी पड़े या आंधी, आ जाए तूफानी।
रुकूं कभी न, बहे पसीना, आऊं न मैं बाज,
आज मने नाचन दे, नाचन दे मने आज।।

 
सुंदर भजन में शिव की मस्ती और उनके भक्तों की भक्ति का जोश उमंग से भरा हुआ है। इसमें शिव की अलौकिक ऊर्जा और उनकी बस्ती की उल्लासपूर्ण छटा जीवंत रूप में प्रकट होती है। शिव भक्त अपनी भक्ति में मग्न होकर नृत्य कर रहे हैं, जहाँ शर्म और झिझक को छोड़कर केवल भोलेनाथ का प्रेम ही दिखाई देता है। इसमें भक्ति का वह अनूठा रंग उभरता है, जहाँ भक्त शिव की महिमा का आनंद लेते हुए अपने भावों को खुलकर प्रकट करता है।

शिव मस्त मलंग हैं—उनकी भक्ति में वह सहजता और निर्भयता है जो हर बंधन से मुक्त कर देती है। वे अपने भक्तों को आनंद से सराबोर कर देते हैं, जहाँ भक्ति केवल साधना नहीं, बल्कि जीवन का उल्लासपूर्ण उत्सव बन जाती है।
 
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