डोरी खेंच के राखिजे यो हे बाबा भजन

डोरी खेंच के राखिजे यो हे बाबा को निसान भजन

डोरी खेंच के राखिजे,यो हे बाबा को निसान
पैदल चालणिये के सागे चाले बाबो श्याम

श्याम को निशान बड़भागी उठावे
किस्मत वालो खाटू जावे
सारे-रास्ते म करतो रहजे इको गुणगान
पैदल चालणिये के सागे,

श्याम धनि तेरो रखवालो
तेरी झोली भरने वालो
लम्बी खाई जे धोक,तेरा होसी कल्याण
पैदल चालणिये के सागे,

श्याम तेरे सागे सागे मतना घबरावे
धीरे धीरे चाल, यो ही पार लगावे
तन्ने जयादा के समझावा,एकी महिमा ने पिछाण
पैदल चालणिये के सागे,

रींगस खाटू अगल बगल में
चाल जरा सो उछल उछल के
बेगो चाल रे बनवारी,आग्यो आग्यो खाटू धाम
पैदल चालणिये के सागे,


सुन्दर भजन में श्री श्यामजी के प्रति अपार श्रद्धा और भक्तों की अटूट आस्था का भाव प्रकट होता है। यह पदयात्रा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि भक्तों की समर्पण-यात्रा है, जहाँ हर कदम श्री श्यामजी की महिमा का गुणगान करता है। जो उनके निशान को धारण करता है, वह भाग्यशाली होता है, क्योंकि खाटू धाम तक पहुंचने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता।

भक्त का विश्वास अडिग है—श्यामजी अपने भक्तों की झोली भरने वाले हैं, उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं। जब भक्त उनके नाम का स्मरण करते हुए कठिनाइयों से गुजरता है, तो यह केवल परीक्षा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का अवसर भी होता है। सुन्दर भजन में यह भाव प्रकट होता है कि धीरे-धीरे चलते हुए, धैर्य और भक्ति के साथ, हर बाधा पार हो जाती है।

खाटू धाम की पवित्रता और उसकी महिमा को पहचानना ही इस यात्रा की सच्ची अनुभूति है। भजन यह संदेश देता है कि जब श्रद्धा से भरा मन श्यामजी का स्मरण करता है, तब उसे श्यामजी की कृपा प्राप्त होती है। यह यात्रा केवल शारीरिक परिश्रम नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार और उसके शुद्धिकरण की प्रक्रिया भी है।

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