दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे भजन

दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए भजन

मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू
तेरा सब कुछ मै, मेरा सब कुछ तू

हर करम अपना करेंगे,
ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है,
जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा,
तू मेरा अभिमान है ।
ऐ वतन महबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है
हम जियेंगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे...

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,
हम वतन हम नाम हैं
जो करे इनको जुदा मज़हब नही इल्जाम है
हम जियेंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

तेरी गलियों में चलाकर नफरतो को गोलियाँ
लूटते है कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ
लूट रहे हैं आप वो आपने घरों को लूट कर
खेलते है बेखबर अपने लहू से होलियां
हम जियेंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे...
 

सुन्दर सोंग में मातृभूमि के प्रति निष्ठा, त्याग और अटूट समर्पण का भाव प्रकट होता है। यह भाव केवल देशभक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मा की सच्ची पहचान और कर्तव्य की गहन अनुभूति को भी दर्शाता है। जब कोई राष्ट्र के प्रति प्रेम में पूरी तरह समर्पित होता है, तब उसके हर कर्म में मातृभूमि का कल्याण और सुरक्षा सर्वोपरि हो जाती है।

राष्ट्र की एकता इस सोंग का मूल संदेश है। जाति, धर्म, और सीमाओं से ऊपर उठकर जब व्यक्ति अपने देश को सर्वोपरि मानता है, तब उसका जीवन सच्चे अर्थों में सार्थक हो जाता है। सुन्दर सोंग में यह भाव स्पष्ट होता है कि वतन की सेवा किसी विशेष वर्ग तक सीमित नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। जब यह भावना समाज में प्रबल होती है, तब राष्ट्र उन्नति और सद्भावना की ओर अग्रसर होता है।

मातृभूमि की रक्षा केवल बाहरी शत्रुओं से ही नहीं, बल्कि भीतर की नफरत और बुराइयों से भी करनी होती है। सोंग यह संदेश देता है कि जब व्यक्ति अपने हृदय में प्रेम और कर्तव्य की भावना को अपनाता है, तब समाज में सद्भाव और सच्ची उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। राष्ट्र का सम्मान और उसकी सेवा हर नागरिक का धर्म है।
 
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