जब याद तुम्हारी आती है मैं तेरे दर पर आता

जब याद तुम्हारी आती है मैं तेरे दर पर आता हूँ

जब याद तुम्हारी आती है मैं तेरे दर पर आता हूँ,
अपने सुख दुःख हे ठाकुर मैं रो रो तुम्हे सुनाता हूँ,
जब याद तुम्हारी आती है

फूलो में तुम्हारी खुशबु हे ,पत्तो में तुम्हारी हस्ती हैं,
पर फूल नहीं हैं पास मेरे,दो नयन चढ़ाने आया हूँ,
जब याद तुम्हारी आती है

तुम मेरे हो मैं तेरा हूँ , बस और नहीं कुछ याद मुझे,
ये ध्यान सदा मेरे दिल में रहे , ये विनय सुनाने आया हूँ,
जब याद तुम्हारी आती है

तुम मेरे प्यारे सांवरिया ,मेरा तुम संग प्यारा नाता हैं,
नहीं और कोई मेरी सुनता हे, में तुम्हे सुनाने आया हूँ,
जब याद तुम्हारी आती है


जब याद तुम्हारी आती है मैं तेरे दर पर आता हूँ लिरिक्स Jab Yaad Tumhari Aati Hai Lyrics

सुंदर भजन में भक्त और ईश्वर के मधुर संबंध को प्रदर्शित किया गया है। जब मन प्रभु की स्मृति में डूब जाता है, तब आत्मा उनके दरबार में विनती लेकर उपस्थित होती है। यह अनुभूति समर्पण का वह स्तर है, जहाँ भक्त अपने सुख-दुःख, आशाएँ और भावनाएँ केवल ईश्वर को ही समर्पित करता है।

श्रद्धा की यह गहनता बताती है कि ईश्वर के प्रति प्रेम बाहरी दिखावे से परे है—वे फूलों की खुशबू में, पत्तों की कोमलता में और प्रत्येक प्रकृति के तत्व में विद्यमान हैं। जब भक्त के पास कोई बाहरी उपहार नहीं होता, तब उसकी दो नयन ही सबसे बड़ी भेंट बन जाती हैं।

भक्ति की पराकाष्ठा तब होती है, जब व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि वह केवल ईश्वर के लिए है, और ईश्वर उसके लिए हैं। इस समर्पण के भाव में कोई और संबंध नहीं बचता, केवल प्रेम और निष्ठा ही शेष रह जाती है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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