जन गण मन अधिनायक जय हे लिरिक्स Jan Gan Man Adhinayak Lyrics Jan Gan Man AdhiNayak Jai He Patriotic Song
जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता,
पंजाब सिंध गुजरात मराठा,
द्रविड़ उत्कल बंग,
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे,
गाहे तव जयगाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता,
जय हे,जय हे,जय हे,
जय जय जय जय हे।
पंजाब सिंध गुजरात मराठा,
द्रविड़ उत्कल बंग,
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे,
गाहे तव जयगाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता,
जय हे,जय हे,जय हे,
जय जय जय जय हे।
यह भी देखें You May Also Like
- नन्ना मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ लिरिक्स Nanha Muna Rahi Hu Lyrics
- दिल दिया है जान भी देंगे ए वतन तेरे लिए लिरिक्स Dil Diya Hai Jaaan Bhi Denge Aie Watan Tere Liye Lyrics
- अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे लिरिक्स Aub Ke Baras Tujhe Dharti Lyrics
- नवयुग की नव गति नव लय हम लिरिक्स Navyug Ki Gati Nav Lay Lyrics
- चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है लिरिक्स Chandan Hai Is Desh Lyrics
Jan Gan Man Adhinaayak Jay He,
Bhaarat Bhaagy Vidhaata,
Panjaab Sindh Gujaraat Maraatha,
Dravid Utkal Bang,
Vindhy Himaachal Yamuna Ganga,
Uchchhal Jaladhi Tarang,
Tav Shubh Naame Jaage,
Tav Shubh Aasheesh Maange,
Gaahe Tav Jayagaatha.
Jan Gan Mangaladaayak Jay He,
Bhaarat Bhaagy Vidhaata,
Jay He,jay He,jay He,
Jay Jay Jay Jay He.
জনগণমন-অধিনায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
পাঞ্জাব সিন্ধু গুজরাট মারাঠা দ্রাবিড় উৎকল বঙ্গ
বিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা উচ্ছলজলধিতরঙ্গ
তব শুভ নামে জাগে, তব শুভ আশিষ মাগে,
গাহে তব জয়গাথা।
জনগণমঙ্গলদায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয় জয় হে॥
मूल कविता के पांचों पद
जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाँथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री।
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंखध्वनि बाजे
संकटदुःखत्राता।
जनगणपथपरिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले –
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
Bhaarat Bhaagy Vidhaata,
Panjaab Sindh Gujaraat Maraatha,
Dravid Utkal Bang,
Vindhy Himaachal Yamuna Ganga,
Uchchhal Jaladhi Tarang,
Tav Shubh Naame Jaage,
Tav Shubh Aasheesh Maange,
Gaahe Tav Jayagaatha.
Jan Gan Mangaladaayak Jay He,
Bhaarat Bhaagy Vidhaata,
Jay He,jay He,jay He,
Jay Jay Jay Jay He.
জনগণমন-অধিনায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
পাঞ্জাব সিন্ধু গুজরাট মারাঠা দ্রাবিড় উৎকল বঙ্গ
বিন্ধ্য হিমাচল যমুনা গঙ্গা উচ্ছলজলধিতরঙ্গ
তব শুভ নামে জাগে, তব শুভ আশিষ মাগে,
গাহে তব জয়গাথা।
জনগণমঙ্গলদায়ক জয় হে ভারতভাগ্যবিধাতা!
জয় হে, জয় হে, জয় হে, জয় জয় জয় জয় হে॥
मूल कविता के पांचों पद
जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाँथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री।
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंखध्वनि बाजे
संकटदुःखत्राता।
जनगणपथपरिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले –
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।