कभी ना बदलेगा भगवान

कभी ना बदलेगा भगवान

मूर्ति वही है बदले पुजारी,
समय बड़ा बलवान कभी ना बदलेगा भगवान,
तू कितना बदल गया इंसान..

समय का जोर भैया समये का चलता पहियाँ,
चले न शक्ति अर्जुन धरे रहे बाण छैयाँ,
गोपी लुटी थिनाल और देखते रहे भगवान.
कभी ना बदलेगा भगवन,
तू कितना बदल गया इंसान..

वक़्त ने सब को देखा सभी का रखता लेखा ,
सुबह या राज तिलक और वन को जाते हुये देखा,
भाग भिदाता स्वय नारायण करते समय का समान,
कभी ना बदलेगा भगवन,
तू कितना बदल गया इंसान..

समय का सिकंदर देखो गया खाली हाथ देखो,
ना आई सोनकी अमावास समय की चाल को देखो,
तरस गए ये पांडव जन तारन कुल जहां,
कभी ना बदलेगा भगवन,
तू कितना बदल गया इंसान..

चलता था राज जिनका हिले न उनके बिन तिनका,
हुकम चलाने वाला मांग ता जीवन मिन का,
तेरा ना मेरा सजन सिंगासन वक़्त बड़ा है महान,
कभी ना बदलेगा भगवन,
तू कितना बदल गया इंसान..


सुंदर भजन में समय की अटल गति और मानव के बदलते स्वरूप को प्रदर्शित किया गया है। ईश्वर स्थिर हैं, उनकी कृपा और न्याय अपरिवर्तनीय हैं, लेकिन मनुष्य अपनी इच्छाओं, स्वार्थ और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। समय किसी को नहीं छोड़ता—जो कभी राजसिंहासन पर था, वह भी इस चक्र के आगे झुकता है।

श्रीकृष्णजी ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को सिखाया कि केवल कर्म करो, फल की चिंता मत करो। यही सत्य है—संसार में कोई भी शक्ति समय के प्रवाह को रोक नहीं सकती। जो अपने अहंकार में खो जाता है, वह अंततः समय के कठोर नियम के आगे झुकने को मजबूर होता है।

न्याय की स्थापना के लिए ईश्वर सदा सजग रहते हैं। वे केवल समय के अनुसार कार्य करते हैं, न कि मनुष्य की इच्छाओं के अनुसार। यह स्मरण कराता है कि भक्ति और सच्ची आस्था ही व्यक्ति को जीवन के उतार-चढ़ाव में स्थिर बना सकती है।
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