म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
तेरो श्याम रंग लागे प्यारा, मेरी आँख्यां नै इसको निहारा, अब तो बस जाओ मेरे नयन में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
भोर भोर मैं द्वारे आवां, चरणामृत तुलसी पावां, हो ऐसी लगन लगाओ जीवन में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
थारे रूप में मैं खो जावां, जब चाहवां, मैं दर्शन पावां, हो ऐसी ज्योत जलाओ हृदय में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
प्रीतराज मैं जाऊँ बलिहारी, आया नाथ शरण में तिहारी, हो अब तो रख लो थारी शरण में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में, म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ, मेरे नाथ बसो म्हारे मन में, म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में।
म्हाने रंग दो नाथ थोरे रंग में #viral #trending #bhajan
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भगवान विष्णु और उनके अवतारों को अक्सर चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है, जो उनकी सर्वव्यापकता और शक्ति को दर्शाता है। श्री कृष्ण, विष्णु के अवतार हैं, इसलिए उन्हें भी कभी-कभी चारभुजा स्वरूप में दिखाया जाता है। चार भुजाओं का अर्थ यह है कि वे चारों दिशाओं में अपनी शक्ति और कृपा फैलाते हैं। उनके चार हाथों में आमतौर पर शंख, चक्र, गदा और कमल जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र होते हैं, जो उनकी दिव्य शक्तियों और करुणा का प्रतीक हैं। उनके दिव्य और विशिष्ट स्वरूप में उन्हें चार हाथों के साथ दर्शाया जाता है. राजस्थान के राजसमंद ज़िले के गढ़बोर गांव में भगवान कृष्ण का चारभुजा मंदिर है
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