श्याम तेरे भजनो में मस्ती की खजाना

श्याम तेरे भजनो में मस्ती की खजाना है

श्याम तेरे भजनो में, मस्ती की खजाना है
बस उसको ही मिलता हे,जो तेरा दीवाना है
श्याम तेरे भजनों में, मस्ती की ख़जाना है।

जब तेरा भजन होता,कुछ याद नहीं रहता,
प्रेमी तेरे झूमते हे,बड़ा प्यारा समां बंधता
ये मस्ती उसे मिलती,जो तेरा दीवाना है
श्याम तेरे भजनों में, मस्ती की ख़जाना है।

ना तन की सुध रहती,ना मन की सुध रहती
बस श्याम मिलन की ही,एक लगन लगी रहती
तेरा दरस उसे मिलता,जो तेरा दीवाना है
श्याम तेरे भजनों में, मस्ती की ख़जाना है।

देख छवि तेरी मन गद गद होता है
सांवरिया ऐसा लगे,जैसे अमृत बरसता है
तेरा प्यार उसे मिलता जो तेरा दीवाना है
श्याम तेरे भजनों में, मस्ती की ख़जाना है। 
 

 
यह सुन्दर भजन भक्ति की आनंदमयी अनुभूति और श्रीश्यामजी के प्रेम में डूब जाने की गहराई को प्रकट करता है। जब साधक उनकी आराधना में रम जाता है, तब यह भजन केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आत्मा में एक दिव्य मस्ती का भाव जागृत करता है।

प्रेम और श्रद्धा का यह प्रवाह तन-मन को विस्मृत कर देता है। जब कोई भक्त श्रीश्यामजी के भजनों में लीन होता है, तब सांसारिक चिंताएँ स्वतः ही दूर हो जाती हैं, और केवल उनका दिव्य स्वरूप ही अंतर्मन में बस जाता है। यह अनुभूति केवल एक साधारण आराधना नहीं, बल्कि उस प्रेम की चरम अवस्था है जहां चेतना ईश्वरीय आनंद में विलीन हो जाती है।

भक्ति का यह भाव केवल बाहरी साधना नहीं, बल्कि अंतरात्मा का पावन उत्सव है। जब भजन का मधुर स्वर गूंजता है, तब मन स्वयं को श्रीश्यामजी की छवि में लीन पाता है। यह वह क्षण होता है जब अमृत वर्षा की अनुभूति होती है, और साधक केवल प्रेम और दिव्यता का ही अनुभव करता है।

यह अनुभूति बताती है कि सच्ची भक्ति किसी सीमा में नहीं बंधती। जब हृदय श्रीश्यामजी के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाता है, तब हर क्षण, हर स्पंदन उनके स्मरण से भर जाता है। यही वह दिव्य मार्ग है जहां श्रद्धा, प्रेम और आनंद एक साथ मिलकर साधक को सर्वोच्च भक्ति की ओर ले जाते हैं।
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