नहीं ये हो नहीं सकता ये बेडा डूब जाएगा

नहीं ये हो नहीं सकता ये बेडा डूब जाएगा

नहीं ये हो नहीं सकता,
ये बेडा डूब जाएगा,
मेरे डूबने से पहले,
मेरा श्याम आएगा,
मेरा श्याम आयेगा,
मेरा श्याम आएगा।

पक्का भरोसा है,
अपने कन्हैया पे,
विश्वास है मुझको,
बंसी बजैया पे,
उसे मालूम है वर्षों का,
ये रिश्ता टूट जाएगा,
मेरे डूबने से पहले,
मेरा श्याम आएगा,
मेरा श्याम आयेगा,
मेरा श्याम आएगा।

हाँ चल पड़ा है वो,
मुझको बचाने को,
हाँ आ रहा है वो,
रिश्ता निभाने को,
कन्हैया जानता है,
धीरज मेरा छूट जाएगा,
मेरे डूबने से पहले,
मेरा श्याम आएगा,
मेरा श्याम आयेगा,
मेरा श्याम आएगा।

आता रहा है वो,
आता रहेगा वो,
तेरे साथ हूँ हर दम,
मुझसे कहेगा वो,
मेरे आंसू का बनवारी,
ये झरना फूट जाएगा,
मेरे डूबने से पहले,
मेरा श्याम आएगा,
मेरा श्याम आयेगा,
मेरा श्याम आएगा।

नहीं ये हो नहीं सकता,
ये बेडा डूब जाएगा,
मेरे डूबने से पहले,
मेरा श्याम आएगा,
मेरा श्याम आयेगा,
मेरा श्याम आएगा।


 नहीं ये हो नहीं सकता ये बेडा डूब जायेगा
मेरे डूबने से पहले मेरा श्याम आएगा
मेरा श्याम आएगा....मेरा श्याम आएगा
पक्का भरोसा है अपने कन्हैया पे
विश्वास है मुझको बंसी बजैया पे
उसे मालूम है वर्षों का ये रिश्ता टूट जाएगा
मेरे डूबने से पहले मेरा श्याम आएगा
मेरा श्याम आएगा....मेरा श्याम आएगा
हाँ चल पड़ा है वो मुझको बचाने को
हाँ आ रहा है वो रिश्ता निभाने को
कन्हैया जानता है धीरज मेरा छूट जाएगा
मेरे डूबने से पहले मेरा श्याम आएगा
मेरा श्याम आएगा....मेरा श्याम आएगा
आता रहा है वो आता रहेगा वो
तेरे साथ हूँ हर दम मुझसे कहेगा वो
मेरे आंसू का बनवारी ये झरना फूट जाएगा
मेरे डूबने से पहले मेरा श्याम आएगा
मेरा श्याम आएगा....मेरा श्याम आएगा
 
यह सुन्दर भजन श्रीश्यामजी के प्रति अटूट विश्वास और संपूर्ण आत्मसमर्पण की अनुभूति को प्रदर्शित करता है। जब जीवन संकटों से घिर जाता है, जब धैर्य डगमगाने लगता है, तब यह दिव्य आश्रय ही है जो साधक को संभालता है और उसे अविचल बनाए रखता है।

श्रद्धा का यह भाव सिखाता है कि जब सच्चा प्रेम और निष्ठा जन्म लेती है, तब कोई भी परिस्थिति व्यक्ति को तोड़ नहीं सकती। श्रीश्यामजी का साथ केवल भौतिक रूप से नहीं, यह उस अनुभव की पुष्टि है जहां भक्त यह जानता है कि वह कभी अकेला नहीं है। जब विश्वास अडिग होता है, तब हर विघ्न मात्र एक परीक्षा बन जाती है, जिसे कृपा सहज ही पार कर देती है।

कन्हैया का नाम, बंसी की मधुरता, और वर्षों से जुड़ी श्रद्धा—इन सबका तात्पर्य यही है कि संबंध केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मा से गहरे जुड़े होते हैं। जब जीवन संघर्षों में डगमगाने लगता है, तब यही भरोसा संबल बनकर साधक को आगे बढ़ाता है।

यह भाव यह भी प्रकट करता है कि श्रीश्यामजी की कृपा का प्रवाह निरंतर बना रहता है। जब कोई भक्त अपने भावों की गहराई से पुकारता है, तब वह पुकार व्यर्थ नहीं जाती। प्रेम की पराकाष्ठा में यह अनुभूति जन्म लेती है कि हर आंसू, हर वेदना और हर पीड़ा अंततः उनकी कृपा से ही शांत होती है।

यह दिव्य विश्वास हमें यह सीख देता है कि जब श्रद्धा स्थिर होती है, तब कोई विघ्न हमें विचलित नहीं कर सकता। श्रीश्यामजी का प्रेम हर परिस्थिति में संबल बना रहता है—यही वह भाव है जहां साधक अपने अस्तित्व को पूर्णता में समर्पित कर देता है और भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त करता है।
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