साँवली सुरतिया है मुख पर उजाला
साँवली सुरतिया है मुख पर उजाला
साँवली सुरतिया है मुख पर उजाला,ऐसा अनोखा मेरा श्याम खाटू वाला, लीले वाला
जो भी आया चरणों में उसको उबारा, हो उबारा।
कजरारे चंचल नैनों में सूरज चांद का डेरा,
देख के इस पावन मूरत को होता जिसका सवेरा,
उसके जीवन की नैया को देता किनारा, हो किनारा,
तीन बाण कांधे पर सोहे मोर छड़ी है न्यारी,
जिसके झाड़े से लाखों की किस्मत गई सँवारी,
लीले की असवारी करता मोरवी का लाला, मुरलीवाला।
खाटू में दरबार लगाए कलयुग का अवतारी,
वीर बर्बरीक नाम है जिसका मां का आज्ञाकारी,
हारे का साथी है गिरधर देता सहारा, हो सहारा।
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी के दिव्य स्वरूप और उनकी कृपा का अनुपम चित्रण किया गया है। यह भाव दर्शाता है कि उनके सांवले रूप की आभा स्वयं में एक उजाला है—एक ऐसा प्रकाश जो भक्त के जीवन को संवारता है और उसकी हर कठिनाई को हल्का कर देता है।
जब कोई भक्त उनकी शरण में आता है, तब वह केवल सांसारिक दुःखों से मुक्त नहीं होता, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत होता है। श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन की नैया सहज ही पार हो जाती है, और हृदय में सच्ची शांति का अनुभव होता है।
भजन में उनकी अलौकिक शक्ति को दर्शाया गया है—तीन बाण, मोर छड़ी और लीले की असवारी, ये सब उनके दिव्य स्वरूप को उजागर करते हैं। ये प्रतीक केवल युद्ध के नहीं, बल्कि कर्म और न्याय के भी हैं। प्रभु की कृपा से असंख्य भक्तों का जीवन संवर गया, और उनकी शरण में आने वाला हर व्यक्ति नई दिशा प्राप्त करता है।
भजन यह भी बताता है कि श्रीकृष्णजी केवल ईश्वर के रूप में पूज्य नहीं, बल्कि कलयुग में भक्तों का सहारा भी हैं। जब जीवन में हर आशा समाप्त होती दिखती है, जब कोई मार्ग नहीं सूझता, तब उनकी कृपा ही मनुष्य को सहारा देती है और उसे हर कठिनाई से पार कराती है।
इस भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी का स्मरण जीवन का सबसे बड़ा संबल है। उनकी कृपा से संसार के सारे संकट हल हो जाते हैं, और उनकी शरण में ही सच्चा आनंद और शांति प्राप्त होती है।
जब कोई भक्त उनकी शरण में आता है, तब वह केवल सांसारिक दुःखों से मुक्त नहीं होता, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत होता है। श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन की नैया सहज ही पार हो जाती है, और हृदय में सच्ची शांति का अनुभव होता है।
भजन में उनकी अलौकिक शक्ति को दर्शाया गया है—तीन बाण, मोर छड़ी और लीले की असवारी, ये सब उनके दिव्य स्वरूप को उजागर करते हैं। ये प्रतीक केवल युद्ध के नहीं, बल्कि कर्म और न्याय के भी हैं। प्रभु की कृपा से असंख्य भक्तों का जीवन संवर गया, और उनकी शरण में आने वाला हर व्यक्ति नई दिशा प्राप्त करता है।
भजन यह भी बताता है कि श्रीकृष्णजी केवल ईश्वर के रूप में पूज्य नहीं, बल्कि कलयुग में भक्तों का सहारा भी हैं। जब जीवन में हर आशा समाप्त होती दिखती है, जब कोई मार्ग नहीं सूझता, तब उनकी कृपा ही मनुष्य को सहारा देती है और उसे हर कठिनाई से पार कराती है।
इस भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी का स्मरण जीवन का सबसे बड़ा संबल है। उनकी कृपा से संसार के सारे संकट हल हो जाते हैं, और उनकी शरण में ही सच्चा आनंद और शांति प्राप्त होती है।