जुबा जुबा पे चर्चा इनका है इतनी मकबूल
जुबा जुबा पे चर्चा इनका है इतनी मकबूल
जुबा जुबा पे चर्चा इनका है इतनी मकबूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
तुम्हरा क्या कहना है श्याम तुझे न भूलू सुबहो श्याम,
इनकी बात निराला इनका जग में ऊंचा नाम,
जो हर शह को सोना करदे वो पारस है श्याम,
इनका नाम लिए दुःख भागे इनमे वो है शक्ति,
भंगारे भर जाए जो भी करे श्याम की भक्ति,
काँटा भी इनके परशाद से हो जाता है फूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
जिसपे मेहर करे उसकी तकदीर सवर जाये,
जो भी खाली जाये उसकी झोली भर जाये,
बाबा की चौकठ पर ऐसा नूर बरसत ता है,
मेरा शीश का दानी सब के दिल में वस्ता है,
कर देते ये माफ़ जो हमसे हो जाती है भूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
मैंने जैसा सुना था उस से जयदा ही पाया है,
सच मुच् श्याम तुम्हारे चरणों में आराम आया है,
मैं तेरी हो चुकी सांवरे रोज यह आउंगी,
जीवन भर मैं सिमरन तेरी महिमा गाउ गी
मुझे बना लो बाबा अपनी चरणों की धूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
तुम्हरा क्या कहना है श्याम तुझे न भूलू सुबहो श्याम,
इनकी बात निराला इनका जग में ऊंचा नाम,
जो हर शह को सोना करदे वो पारस है श्याम,
इनका नाम लिए दुःख भागे इनमे वो है शक्ति,
भंगारे भर जाए जो भी करे श्याम की भक्ति,
काँटा भी इनके परशाद से हो जाता है फूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
जिसपे मेहर करे उसकी तकदीर सवर जाये,
जो भी खाली जाये उसकी झोली भर जाये,
बाबा की चौकठ पर ऐसा नूर बरसत ता है,
मेरा शीश का दानी सब के दिल में वस्ता है,
कर देते ये माफ़ जो हमसे हो जाती है भूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल ,
मैंने जैसा सुना था उस से जयदा ही पाया है,
सच मुच् श्याम तुम्हारे चरणों में आराम आया है,
मैं तेरी हो चुकी सांवरे रोज यह आउंगी,
जीवन भर मैं सिमरन तेरी महिमा गाउ गी
मुझे बना लो बाबा अपनी चरणों की धूल,
होती है श्री श्याम के दर पर सब दुआ कबूल
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की अपरंपार कृपा और उनकी महिमा का दिव्य चित्रण किया गया है। यह भाव प्रकट करता है कि जब कोई भक्त सच्चे मन से उनकी शरण में आता है, तब उसकी हर प्रार्थना स्वीकार होती है। संसार में कितने ही भ्रम और कठिनाइयाँ क्यों न हों, जब श्रीकृष्णजी का नाम स्मरण किया जाता है, तब सभी बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती हैं।
इस भजन में यह अनुभूति प्रकट होती है कि प्रभु का नाम स्वयं में एक दिव्य ऊर्जा है—जो हर दुःख को मिटा सकता है, जो काँटे को फूल में बदल सकता है, जो भक्त को हर परिस्थिति में संबल प्रदान कर सकता है। श्रीकृष्णजी की कृपा से ही जीवन का मार्ग सुगम बनता है, और हर संकट सहज ही समाप्त हो जाता है।
उनकी चौखट पर जो भी श्रद्धा से आता है, उसकी झोली खाली नहीं लौटती। उनकी कृपा से तकदीर सँवरती है, और जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है। केवल सांसारिक कष्टों से मुक्ति नहीं, बल्कि आत्मा को परम आनंद प्राप्त होता है, जब मनुष्य सच्चे भाव से उनकी महिमा को स्वीकार करता है।
यह भजन यह भी उजागर करता है कि श्रीकृष्णजी सदा अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। वे दयालु हैं, वे कृपालु हैं, और वे सदा अपने प्रेम में सबको समेट लेते हैं। जो भी उनके चरणों में समर्पित होता है, वह जीवन में सच्ची शांति और आनंद प्राप्त करता है।
भजन का सार यही है—संसार के झूठे मोह में मत उलझो, श्रीकृष्णजी की भक्ति ही सच्चा मार्ग है। जब सच्चे मन से उनका स्मरण किया जाता है, तब जीवन की हर कठिनाई सहज ही समाप्त हो जाती है, और उनकी कृपा से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है।
इस भजन में यह अनुभूति प्रकट होती है कि प्रभु का नाम स्वयं में एक दिव्य ऊर्जा है—जो हर दुःख को मिटा सकता है, जो काँटे को फूल में बदल सकता है, जो भक्त को हर परिस्थिति में संबल प्रदान कर सकता है। श्रीकृष्णजी की कृपा से ही जीवन का मार्ग सुगम बनता है, और हर संकट सहज ही समाप्त हो जाता है।
उनकी चौखट पर जो भी श्रद्धा से आता है, उसकी झोली खाली नहीं लौटती। उनकी कृपा से तकदीर सँवरती है, और जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है। केवल सांसारिक कष्टों से मुक्ति नहीं, बल्कि आत्मा को परम आनंद प्राप्त होता है, जब मनुष्य सच्चे भाव से उनकी महिमा को स्वीकार करता है।
यह भजन यह भी उजागर करता है कि श्रीकृष्णजी सदा अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। वे दयालु हैं, वे कृपालु हैं, और वे सदा अपने प्रेम में सबको समेट लेते हैं। जो भी उनके चरणों में समर्पित होता है, वह जीवन में सच्ची शांति और आनंद प्राप्त करता है।
भजन का सार यही है—संसार के झूठे मोह में मत उलझो, श्रीकृष्णजी की भक्ति ही सच्चा मार्ग है। जब सच्चे मन से उनका स्मरण किया जाता है, तब जीवन की हर कठिनाई सहज ही समाप्त हो जाती है, और उनकी कृपा से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है।
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