कैसा सजा दरबार है खाटू वाले का इंतज़ार

कैसा सजा दरबार है खाटू वाले का इंतज़ार है

कैसा सजा दरबार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है,
लेकर के मोर छड़ी वो आयेगा,
खाली झोलियाँ भर जाएगा,
सेठों का सेठ साहूकार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है।

प्रेमी तो आस लगाए बैठे हैं,
दिल में बाबा को बसाये बैठे हैं,
कश्ती का वही खेवनहार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है।

हँस हँस के चाहे उसको याद करो,
आंखे भर के चाहे फ़रियाद करो,
ना कोई न परदा ना दीवार है
खाटू वाले का इंतज़ार है।

भक्तों का इम्तिहान नहीं लेगा,
कमियों पर बाबा ध्यान नहीं देगा,
सुन्दर लाल को एतबार,
खाटू वाला का इंतज़ार है,

कैसा सजा दरबार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है,
लेकर के मोर छड़ी वो आयेगा,
खाली झोलियाँ भर जाएगा,
सेठों का सेठ साहूकार है,
खाटू वाले का इंतज़ार है।


सुन्दर भजन में भक्त की अनवरत आशा और श्रद्धा का चित्रण किया गया है। यह भाव दर्शाता है कि जब मनुष्य का हृदय सच्ची भक्ति से ओत-प्रोत होता है, तब हर कठिनाई स्वयं हल हो जाती है। श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन में आनंद का संचार होता है, और उनकी प्रतीक्षा में भक्तों का मन प्रेम और विश्वास से भरा रहता है।

इस भजन में विश्वास का संदेश निहित है—जिन्होंने प्रभु के नाम को अपनी सांसों में बसाया है, वे सदा उनकी कृपा के पात्र बनते हैं। खाटूधाम में भक्तों की आस यही रहती है कि श्रीकृष्णजी अपने दिव्य स्वरूप में आएँ और अपने प्रेम से झोलियाँ भर दें। यह प्रतीक्षा केवल भौतिक नहीं, बल्कि आत्मा की पवित्र पुकार है।

प्रभु का स्मरण करते समय न कोई द्वार होता है, न कोई दीवार—उनके प्रेम में सब समर्पित हो जाता है। जब हृदय में सच्ची भक्ति होती है, तब केवल आनंद ही रहता है, और दुखों का भार स्वतः हल्का हो जाता है। उनके दरबार में हर भक्त समान होता है, और वे अपनी करुणा से सभी को आशीष देते हैं।

यह भजन इस सत्य को प्रकट करता है कि श्रीकृष्णजी की कृपा अविरल बहती है, और उनकी शरण में आने वाला हर भक्त अपने जीवन में चमत्कार का अनुभव करता है। जब सच्चे मन से उन्हें पुकारा जाता है, तब वे अवश्य आते हैं और अपने आशीर्वाद से जीवन को संवारते हैं।

भजन का सार यही है—प्रभु का स्मरण ही सच्ची संपदा है, और उनकी कृपा से ही जीवन की सभी कठिनाइयाँ सहज हो जाती हैं।

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