प्रेम से भावो से कन्हैया तोल देंगे हम
प्रेम से भावो से कन्हैया तोल देंगे हम
प्रेम से भावों से,कन्हैया तोल देंगे हम,
तेरे स्वागत में दरवाजा,
ये दिल का खोल देंगे हम,
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तौल देंगे हम।
बड़े ही चाव से हमने,
हमारा घर सजाया है,
तेरे आने की खुशियो में,
तेरा कीर्तन कराया है,
तेरे भजनो में मिश्री सी,
कन्हैया घोल देंगे हम,
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तौल देंगे हम।
तेरी प्यारी सी चितवन को,
कन्हैया हम भी देखेंगे,
तेरे इन पावन चरणों से,
लिपटकर हम भी देखेंगे,
छुपी है दिल में जो बाते,
वो तुझसे बोल देंगे हम,
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तौल देंगे हम।
तेरे इस हर्ष की आशा,
कन्हैया तोड़ ना देना,
बड़ी उम्मीद लाया हूँ,
यूँ वापस मोड़ ना देना,
तू आजा प्यार का तोहफा,
बड़ा अनमोल देंगे हम,
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तौल देंगे हम।
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तोल देंगे हम,
तेरे स्वागत में दरवाजा,
ये दिल का खोल देंगे हम,
प्रेम से भावों से,
कन्हैया तौल देंगे हम।
यह भजन प्रेम और भक्ति की गहन भावना से ओतप्रोत है। ह्रदय के द्वार को खोलकर, सच्चे प्रेम और समर्पण के भाव से श्रीकृष्णजी का स्वागत करने की अभिलाषा इसमें प्रदर्शित होती है। जब भक्त अपने घर को सजाता है, कीर्तन करता है और मन से स्नेह को उँडेलता है, तब वह श्रीकृष्णजी को मानो प्रेम के तराजू में तोल रहा हो। यह न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि भावनाओं का वह मधुर प्रवाह है, जहाँ प्रेम ही सबसे बड़ी भेंट बन जाता है।
भक्ति में मिठास का अद्भुत समावेश होता है, जहाँ ह्रदय से निकले भाव श्रीकृष्णजी के चरणों में अर्पित होते हैं। यह भाव केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि एक अदृश्य संवाद बन जाता है, जहाँ आत्मा प्रेम का उपहार समर्पित करती है और श्रीकृष्णजी के सान्निध्य में अपना सुख खोजती है।
श्रीकृष्णजी की चितवन को देखने की लालसा, उनके चरणों में लिपटने का भाव, और मन में दबी हर बात को उनसे कहने की चाह—यह सब भक्त के ह्रदय की सरलता और प्रबल प्रेम को दर्शाते हैं। भक्ति का यह स्तर वह है जहाँ प्रेम और श्रद्धा मिलकर श्रीकृष्णजी से एक निजी संवाद स्थापित करते हैं।
विश्वास और आशा का यह संयोग, जहाँ श्रीकृष्णजी के आगमन की प्रतीक्षा हो और उनसे मिलने का उत्साह, भक्त के मन की कोमलता को दर्शाता है। प्रेम वह उपहार है, जो अनमोल है, जिसका कोई मूल्य नहीं। सच्चे प्रेम और विश्वास से जब समर्पण किया जाता है, तब ईश्वर स्वयं उस प्रेम को अपनी कृपा से और भी दिव्य बना देते हैं। यही सन्देश इस भजन में गहराई से प्रवाहित होता है।
भक्ति में मिठास का अद्भुत समावेश होता है, जहाँ ह्रदय से निकले भाव श्रीकृष्णजी के चरणों में अर्पित होते हैं। यह भाव केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि एक अदृश्य संवाद बन जाता है, जहाँ आत्मा प्रेम का उपहार समर्पित करती है और श्रीकृष्णजी के सान्निध्य में अपना सुख खोजती है।
श्रीकृष्णजी की चितवन को देखने की लालसा, उनके चरणों में लिपटने का भाव, और मन में दबी हर बात को उनसे कहने की चाह—यह सब भक्त के ह्रदय की सरलता और प्रबल प्रेम को दर्शाते हैं। भक्ति का यह स्तर वह है जहाँ प्रेम और श्रद्धा मिलकर श्रीकृष्णजी से एक निजी संवाद स्थापित करते हैं।
विश्वास और आशा का यह संयोग, जहाँ श्रीकृष्णजी के आगमन की प्रतीक्षा हो और उनसे मिलने का उत्साह, भक्त के मन की कोमलता को दर्शाता है। प्रेम वह उपहार है, जो अनमोल है, जिसका कोई मूल्य नहीं। सच्चे प्रेम और विश्वास से जब समर्पण किया जाता है, तब ईश्वर स्वयं उस प्रेम को अपनी कृपा से और भी दिव्य बना देते हैं। यही सन्देश इस भजन में गहराई से प्रवाहित होता है।
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Author - Saroj Jangir
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