जब कोई न हो अपना बस श्याम नाम जपना
जब कोई न हो अपना बस श्याम नाम जपना
जब कोई न हो अपना,बस श्याम नाम जपना,
विश्वाश सदा रखना,
बस श्याम नाम जपना,
झूठे ये रिश्ते झूठे ये नाते,
वक़्त पड़े ये तेरे कोई काम नहीं आते,
कौन यहाँ संगी कौन यहाँ साथी,
स्वार्थ की ये दुनिया या सब है मतलबी,
सब दो दिन का है सपना,
तुम श्याम नाम जपना।
तू किस के लिए यहाँ रोता है ,
क्यों गहरी नींद में सोता है,
क्यों भूल गया तुम उस के कर्म,
किस कारण हुआ ये जन्म,
तुझे श्याम से है मिलना,
बस श्याम नाम जपना।
क्यों तू घबराये क्यों तू भरमाये,
सौरव मधुकर,
श्याम शरण में क्यों तू ना आए,
चरणों में सदा रहना,
बस श्याम नाम जपना,
जब कोई न हो अपना,
बस श्याम नाम जपना,
विश्वाश सदा रखना,
बस श्याम नाम जपना।
विश्वाश सदा रखना,
बस श्याम नाम जपना,
झूठे ये रिश्ते झूठे ये नाते,
वक़्त पड़े ये तेरे कोई काम नहीं आते,
कौन यहाँ संगी कौन यहाँ साथी,
स्वार्थ की ये दुनिया या सब है मतलबी,
सब दो दिन का है सपना,
तुम श्याम नाम जपना।
तू किस के लिए यहाँ रोता है ,
क्यों गहरी नींद में सोता है,
क्यों भूल गया तुम उस के कर्म,
किस कारण हुआ ये जन्म,
तुझे श्याम से है मिलना,
बस श्याम नाम जपना।
क्यों तू घबराये क्यों तू भरमाये,
सौरव मधुकर,
श्याम शरण में क्यों तू ना आए,
चरणों में सदा रहना,
बस श्याम नाम जपना,
जब कोई न हो अपना,
बस श्याम नाम जपना,
विश्वाश सदा रखना,
बस श्याम नाम जपना।
जब कोई ना हो आपना बस श्याम नाम जपना तु श्याम नाम जपना
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सुन्दर भजन में एक गहरी आध्यात्मिक सीख छिपी है—एक जीवनदर्शन जो संसार के अस्थायी संबंधों को पहचानने और परमात्मा के शाश्वत आश्रय में शरण लेने की प्रेरणा देता है। जीवन में अनेक अवसर आते हैं जब मनुष्य अकेला अनुभव करता है, जब कोई साथ नहीं होता, तब सत्य केवल एक ही रहता है—श्रीकृष्णजी का नाम।
मायामयी संसार में संबंध और नाते क्षणिक हैं। स्वार्थ और अहंकार के खेल में कोई स्थायी सहारा नहीं मिलता। जो स्थिर है, जो अविनाशी है, वह केवल प्रभु का नाम है। इस दृष्टि से जब कोई भी सहारा न हो, जब भ्रम और मोह का आच्छादन टूट जाए, तब केवल श्रीकृष्णजी का स्मरण ही जीवन को सार्थक बना सकता है।
जगत का मोह क्यों? जन्म का उद्देश्य क्या? यह गहन प्रश्न हैं, जिनके उत्तर प्रभु-प्राप्ति की राह में मिलते हैं। भजन में इस जागरण का आह्वान है—स्मरण करो उस अनंत ऊर्जा को, जो हर कष्ट में तुम्हारा सहारा है। जब सांसारिक बंधन और मोह डगमगाने लगें, तब उसकी शरण में जाना ही सच्चा समाधान है।
भय और संशय की स्थिति में मन विचलित होता है, लेकिन यह सीख दर्शाती है कि आध्यात्मिक शरण जीवन को स्थिरता प्रदान करती है। जब कोई संबल न दिखे, जब भ्रम मन को डगमगाने लगे, तब श्रीकृष्णजी के चरणों में निवास करना ही वास्तविक सुख और शांति देता है।
परमात्मा का स्मरण केवल संकट में नहीं, बल्कि जीवनभर बना रहना चाहिए। जो भी इस सत्य को समझता है, वह वास्तविक रूप से संसार के छल-प्रपंच से मुक्त हो सकता है। नाम-स्मरण केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा का शुद्धिकरण है, जीवन का मूल सार है।
इस भजन में जो भाव प्रदर्शित होता है, वह केवल भक्त के हृदय का उदगार ही नहीं, बल्कि संतों और धर्मगुरुओं के शाश्वत ज्ञान की पुष्टि करता है—संसार अस्थायी है, लेकिन ईश्वर का नाम अपरिवर्तनीय। जो उसकी शरण में जाता है, वह सत्य को प्राप्त करता है।
मायामयी संसार में संबंध और नाते क्षणिक हैं। स्वार्थ और अहंकार के खेल में कोई स्थायी सहारा नहीं मिलता। जो स्थिर है, जो अविनाशी है, वह केवल प्रभु का नाम है। इस दृष्टि से जब कोई भी सहारा न हो, जब भ्रम और मोह का आच्छादन टूट जाए, तब केवल श्रीकृष्णजी का स्मरण ही जीवन को सार्थक बना सकता है।
जगत का मोह क्यों? जन्म का उद्देश्य क्या? यह गहन प्रश्न हैं, जिनके उत्तर प्रभु-प्राप्ति की राह में मिलते हैं। भजन में इस जागरण का आह्वान है—स्मरण करो उस अनंत ऊर्जा को, जो हर कष्ट में तुम्हारा सहारा है। जब सांसारिक बंधन और मोह डगमगाने लगें, तब उसकी शरण में जाना ही सच्चा समाधान है।
भय और संशय की स्थिति में मन विचलित होता है, लेकिन यह सीख दर्शाती है कि आध्यात्मिक शरण जीवन को स्थिरता प्रदान करती है। जब कोई संबल न दिखे, जब भ्रम मन को डगमगाने लगे, तब श्रीकृष्णजी के चरणों में निवास करना ही वास्तविक सुख और शांति देता है।
परमात्मा का स्मरण केवल संकट में नहीं, बल्कि जीवनभर बना रहना चाहिए। जो भी इस सत्य को समझता है, वह वास्तविक रूप से संसार के छल-प्रपंच से मुक्त हो सकता है। नाम-स्मरण केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा का शुद्धिकरण है, जीवन का मूल सार है।
इस भजन में जो भाव प्रदर्शित होता है, वह केवल भक्त के हृदय का उदगार ही नहीं, बल्कि संतों और धर्मगुरुओं के शाश्वत ज्ञान की पुष्टि करता है—संसार अस्थायी है, लेकिन ईश्वर का नाम अपरिवर्तनीय। जो उसकी शरण में जाता है, वह सत्य को प्राप्त करता है।