सँवारे का भक्तो ने ऐसा किया शृंगार है भजन

सँवारे का भक्तो ने ऐसा किया शृंगार है भजन

सांवरे का भक्तों ने ऐसा किया श्रृंगार है,
खूब सजी है खाटू नगरी,
जिधर भी देखो रंग-बिरंगी फूलों की बहार है,
सांवरे का भक्तों ने ऐसा किया श्रृंगार है।।

मोगरा, बेला, जूही, चमेली – सब हैं गुंथे हार में,
ताकि कमी न रह जाए कुछ ठाकुर के श्रृंगार में।
आ श्याम छवि को जो भी देखे उसका जीवन डोले,
नर-नारी सब झूम के बोले – छप्पा शानदार है,
सांवरे का भक्तों ने ऐसा किया श्रृंगार है।।

रंग लाए, लाल गुलाल लाए, भक्त झूम के,
माथे मल के अपने, अभी पिचकारी को चूमते।
श्याम को रंग लगाने आए, सांवरे के मस्ताने,
फागुन आया, धूम मची है – होली का त्योहार रे,
सांवरे का भक्तों ने ऐसा किया श्रृंगार है।।

श्याम धणी, खाटू रतन – कहते हैं सवाली,
भरता है भक्तों की बाबा – झोली जो हो खाली।
इस दर पे कोई भी मंगता – आज तलक नहीं रोता,
दुनिया बोले: खाटू वाला श्याम – लाखों का दातार है,
सांवरे का भक्तों ने ऐसा किया श्रृंगार है।।

इस भजन में श्रीश्यामजी की दिव्यता और भक्तों की प्रेममयी सेवा का भाव प्रकट किया गया है। जब भक्त श्रद्धा से उनका श्रृंगार करते हैं, तब वह केवल फूलों और आभूषणों की सजावट नहीं होती, बल्कि यह आत्मा की गहन भक्ति और प्रेम का सजीव चित्रण होता है।

खाटूधाम की यह अनुपम शोभा केवल बाह्य सौंदर्य का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह श्रीश्यामजी के प्रति भक्तों के समर्पण और प्रेम की अमिट छाप है। मोगरा, बेला, जूही और चमेली जैसे सुगंधित पुष्प ठाकुरजी के चरणों में अर्पित किए जाते हैं, जिससे भक्तों का भाव और भक्ति का माधुर्य प्रकट होता है। उनके अनुपम दर्शन से ही जीवन आनंदमय हो जाता है, और भक्त उनकी कृपा से धन्य हो जाता है।

भजन का भाव यह दर्शाता है कि श्रीश्यामजी की महिमा में समर्पित होकर भक्त पूर्ण रूप से उनकी कृपा को प्राप्त करता है। जब भक्त उन्हें प्रेम से रंग अर्पित करता है, तब वह केवल होली का पर्व नहीं मनाता, बल्कि यह उत्सव भक्ति की मधुर अभिव्यक्ति बन जाता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि श्रीश्यामजी की शरण में आने से ही जीवन के सभी अभाव समाप्त हो जाते हैं और आत्मा को शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।

श्रीश्यामजी की कृपा से भक्तों का जीवन मंगलमय और आनंदमय हो जाता है। जब कोई सच्चे मन से उनकी उपासना करता है, तब उसकी आत्मा प्रेम और भक्ति से ओत-प्रोत होकर ईश्वरीय कृपा का अनुभव करती है। यही इस भजन का दिव्य संदेश है—श्रद्धा, प्रेम और भक्ति के माध्यम से श्रीश्यामजी की कृपा को प्राप्त करना और उनकी भक्ति से आत्मा को अनंत आनंद और शांति से भर देना। यही भक्ति का सजीव स्वरूप है।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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