काले नाग के नथैया भजन
"काले नाग के नथैया" एक लोकप्रिय कृष्ण भजन है, जो भगवान श्रीकृष्ण की कालिया नाग पर विजय की कथा का वर्णन करता है। इस भजन में श्रीकृष्ण के अद्भुत पराक्रम और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का गुणगान बहुत ही सुन्दर तरीके से किया गया है।
तेरी जय हो कृष्ण कन्हैया,
काले नाग के नथैया,
काले नाग के नथैया
श्री कूल यमुना धेनु आगे,
जल में बैठा प्रभुजी आन के।
नाग नागिनी दोनों बैठे,
श्री कृष्ण जी पहुंचे आन के।
नागिनी कहती सुनो रे बालक,
जाओ यहाँ से भाग के।
तेरी सूरत देख मन दया उपजी,
नाग मारेगा जाग के ।
किसका बालक पुत्र कहिए,
कौन तुम्हारा ग्राम है ।
किसके घर तू जनमिया रे,
बालक क्या तुम्हारा नाम है।
वासुदेव जी का पुत्र कहिए,
गोकुल हमारा ग्राम है ।
श्री माता देवकी जनमिया मैंनू,
श्री कृष्ण हमारा नाम है ।
लै रे बालक हाथां दे कंगण कन्ना दे
कुण्डल सवालखां दियां बोरियां।
इतना द्रव्य लै जा रे बालक,
दियां नागां कोलों चोरियां।
क्या करा तेरे हाथां दे कंगण कन्ना दे
कुण्डल सवालखां दियां बोरियां।
श्री मात यशोदा दही बिलोवे,
पावां नाग काले दीयां डोरियाँ।
क्या रे बालक वेद ब्राह्मण,
क्या मरण तू तां चाहुनाएं ।
नाग दल में आन पहुँचया,
अब कैसे घर जांवनाएं ।
ना री पदमनी वेद ब्राह्मण,
नन्द जी का मैं बालका ।
श्री मात यशोदा दही बिलोवे,
नेतरा मांगे काले नाग का।
कर पैर चूमे भुजा मरोड़े,
नागिनी नाग जगाइया।
उठो रे उठो बलवन्त योद्धा,
बालक नथने को आएया।
उठया रे उठया नाग मंडलीक राजा,
इन्दर वांगूं गरजया।
बाँके मुकुट पर झपट कीनीं,
श्री कृष्ण जी मुकुट बचाया।
भुजा का बल स्वामी खैंच लिया,
जिव्हा का बल प्रभु रहण दिया।
हाथ जोड़ नागनियां कहती,
हुन बल पिया जी तेरा कहाँ गया।
बंसरी सेती काली नाग नथिया,
फन फन नृत्य कराएया ।
फूल फूल मथुरा की नगरी,
देवकी मंगल गाएया ।
भगत हेत प्रभो जन्म लेकर,
लंका में रावण मारिया।
काली प्रदाह नाग नथिया,
मथुरा में कंस पछाड़िया।
सप्तद्वीप नवखण्ड भवन चौदह
सभी तेरा ही पसारिया।
सूरदास वी तेरा यश गावे
मैं तेरे चरणा तो बलिहारियाँ। काले नग के नथिया || Kale Nag Ke Nathaiya || Krishan Bhajan
गायक/Singer - Lata Shastri
Album - Shyam Rang Dhan Payeo
Lyrics - Lata Shastri
Naag Nathiya Nand Kishor Madan Muraaree Maakhan Chor,
Man Mohan Muralee Dhar Kanhiya Gopaala Go Vaala Chor,
Bansee Vaale Jaane Kitane Naam Hai Tere Sabase Hee Niraale Jag Se Kaam Hai Tere,
इस मधुर भजन में भगवान श्रीकृष्ण की उस अद्भुत लीला का वर्णन किया गया है, जब उन्होंने कालिया नाग को यमुना नदी से निकाल बाहर किया था। कथा के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में रहता था और उसके विष से नदी का जल दूषित हो चुका था। जब गोकुलवासियों को इस समस्या का सामना करना पड़ा, तो भगवान श्रीकृष्ण ने इस समस्या का समाधान करने का निश्चय किया। भजन में वर्णन है कि कालिया नाग और नागिन ने पहले श्रीकृष्ण को डरा कर भगाने की कोशिश की, परंतु श्रीकृष्ण ने साहसपूर्वक कालिया नाग का मुकाबला किया। उन्होंने नाग को अपनी भुजाओं से पकड़ लिया और उसके फन पर नृत्य किया। नागिनी ने श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की और वचन दिया कि वे यमुना छोड़कर कहीं और चले जाएंगे।
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Author - Saroj Jangir
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