देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
मोर-मुकुट सिर ऊपर सोहे, गल वैजंती माल
पीताम्बर कटि बीच विराजे, मुरली अधर सुधार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
वीणा ताल मृदंगी बाजे, बाजे झाँझ सितार
खन-खन खन-खन नूपुर बाजे, कर-कंगन झनकार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
सखियों के संग राधा नाचें, नाचें ब्रज की नार
ग्वाल-बाल सब मिलकर नाचें, कर कर के सिंगार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
जलचर मोहे थलचर मोहे, मोहे नभ संसार
ब्रह्मानन्द मुनीश्वर मोहे, मुरली धुन निर्धार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
मोर-मुकुट सिर ऊपर सोहे, गल वैजंती माल
पीताम्बर कटि बीच विराजे, मुरली अधर सुधार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
वीणा ताल मृदंगी बाजे, बाजे झाँझ सितार
खन-खन खन-खन नूपुर बाजे, कर-कंगन झनकार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
सखियों के संग राधा नाचें, नाचें ब्रज की नार
ग्वाल-बाल सब मिलकर नाचें, कर कर के सिंगार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
जलचर मोहे थलचर मोहे, मोहे नभ संसार
ब्रह्मानन्द मुनीश्वर मोहे, मुरली धुन निर्धार ||
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार।
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Author - Saroj Jangir
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