हो जी हरि कित गये नेह लगाय लिरिक्स

हो जी हरि कित गये नेह लगाय लिरिक्स

हो जी हरि कित गये नेह लगाय मीरा भजन
हो जी हरि कित गये नेह लगाय।।टेक।।
नेह लगाय मेरो मन हर लीयो, रस भरी टेर सुनाय।
मेरे मन में ऐसी आवै, मरूँ जहर बिस खाय।
छाड़ि गये बिसवासघात करि, नेह केरी नाव चढ़ाय।
मीराँ के प्रभु कबरे मिलोगे, रहे मधुपुरी छाय।।

(कित=कहां, नेह=स्नेह,प्रेम, रसभरी=मीठी-मीठी, टेर=बात, मधपुरी=मथुरा)

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