कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे मीरा बाई पदावली
कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे मीरा बाई पदावली
कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे
कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे तो ताल मृदंग रंग चटकी।
पावमों घुंगरू झुमझुम वाजे। तो ताल राखो घुंगटकी॥१॥
नाथ तुम जान है सब घटका मीरा भक्ति करे पर घटकी॥टेक॥
ध्यान धरे मीरा फेर सरनकुं सेवा करे झटपटको।
सालीग्रामकूं तीलक बनायो भाल तिलक बीज टबकी॥२॥
कृष्ण मंदिरमों मिराबाई नाचे तो ताल मृदंग रंग चटकी।
पावमों घुंगरू झुमझुम वाजे। तो ताल राखो घुंगटकी॥१॥
नाथ तुम जान है सब घटका मीरा भक्ति करे पर घटकी॥टेक॥
ध्यान धरे मीरा फेर सरनकुं सेवा करे झटपटको।
सालीग्रामकूं तीलक बनायो भाल तिलक बीज टबकी॥२॥
Meera Bhajan | Soulful Krishna Meera Bhajans | Bhawana Lonkar | Meera Ke Prabhu
बीख कटोरा राजाजीने भेजो तो संटसंग मीरा हटकी।
ले चरणामृत पी गईं मीरा जैसी शीशी अमृतकी॥३॥
घरमेंसे एक दारा चली शीरपर घागर और मटकी।
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जैसी डेरी तटवरकी॥४॥
ले चरणामृत पी गईं मीरा जैसी शीशी अमृतकी॥३॥
घरमेंसे एक दारा चली शीरपर घागर और मटकी।
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। जैसी डेरी तटवरकी॥४॥
रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम । तेरे कोडी लगे नही दाम ॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी । बिन सुमरे वे काम ॥१॥
बालपणें हंस खेल गुमायो । तरुण भये बस काम ॥२॥
पाव दिया तोये तिरथ करने । हाथ दिया कर दान ॥३॥
नैन दिया तोये दरशन करने । श्रवन दिया सुन ज्ञान ॥४॥
दांत दिया तेरे मुखकी शोभा । जीभ दिई भज राम ॥५॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । है जीवनको काम ॥६॥
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे ॥ध्रु०॥
कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे ॥१॥
काली जात कुजात कहीजे । ताके संग उजरे ॥२॥
श्याम रूप कियो भ्रमरो । फुलकी बास भरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । कारे संग बगरे ॥४॥
माई तेरी काना कोन गुनकारो । जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो ॥ध्रु०॥
गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया । गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे ॥ मा० ॥१॥
कारो करो मतकर ग्वालनी । ये कारो सब ब्रजको उज्जारो ॥ मा० ॥२॥
जमुनाके नीरे तीरे धेनु चराबे । मधुरी बन्सी बजावत वारो ॥ मा० ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल मोहि लागत प्यारो ॥ मा० ॥४॥
नरदेहीं स्मरणकूं दिनी । बिन सुमरे वे काम ॥१॥
बालपणें हंस खेल गुमायो । तरुण भये बस काम ॥२॥
पाव दिया तोये तिरथ करने । हाथ दिया कर दान ॥३॥
नैन दिया तोये दरशन करने । श्रवन दिया सुन ज्ञान ॥४॥
दांत दिया तेरे मुखकी शोभा । जीभ दिई भज राम ॥५॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । है जीवनको काम ॥६॥
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे ॥ध्रु०॥
कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे ॥१॥
काली जात कुजात कहीजे । ताके संग उजरे ॥२॥
श्याम रूप कियो भ्रमरो । फुलकी बास भरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । कारे संग बगरे ॥४॥
माई तेरी काना कोन गुनकारो । जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो ॥ध्रु०॥
गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया । गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे ॥ मा० ॥१॥
कारो करो मतकर ग्वालनी । ये कारो सब ब्रजको उज्जारो ॥ मा० ॥२॥
जमुनाके नीरे तीरे धेनु चराबे । मधुरी बन्सी बजावत वारो ॥ मा० ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल मोहि लागत प्यारो ॥ मा० ॥४॥
मंदिर में मीरा की भक्ति का नृत्य ऐसा है, जैसे हर ताल और मृदंग का स्वर प्रभु के रंग में रंग गया हो। पायल की झंकार और घूंघट की लय के साथ उनका नाच केवल कला नहीं, बल्कि हृदय का समर्पण है। वह जानती है कि प्रभु हर घट में बसे हैं, फिर भी उनकी भक्ति हर पल उनके प्रति उमड़ती है।
ध्यान और सेवा में डूबी मीरा शालिग्राम को तिलक सजाती है, मानो हर कर्म प्रभु के प्रेम में अर्पित हो। जैसे कोई दीया जलाकर सारी रात रोशनी बिखेरता है, वैसे ही मीरा का मन उनकी भक्ति में झटपट रम जाता है। यह भक्ति का वह उत्सव है, जो आत्मा को प्रभु के चरणों में लीन कर जीवन को रस और रंग से भर देता है।
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