आवत मोरी गलियन में गिरधारी भजन

आवत मोरी गलियन में गिरधारी मीरा बाई पदावली

आवत मोरी गलियन में गिरधारी
 आवत मोरी गलियन में गिरधारी।
मैं तो छुप गई लाज की मारी।।टेक।।
कुसुमल पाग केसरिया जामा, ऊपर फूल हजारी।
मुकुट ऊपर छत्र बिराजे; कुण्डल की छबि न्यारी।
 आवत देखी किसन मुरारी, छिप गई राधा प्यारी।
मोर मुकट मनोहर सोहै, नथनी की छवि न्यारी।
गल मोतिन की माल बिराजे, चरण कमल बलिहारी।
ऊभी राधा प्यारी अरज करत है, सुणजे किसन मुरारी।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, चरण कमल पर वारी।।

(कुसुमल=लाल, पाग=पगड़ी, जामा=पहनावा, हजारी= हजारों दल वाले, गल=कण्ठ, ऊभी=खड़ी हुई)
 
हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलतपर लातरे ।
करीयो प्रभुजीकी बात सबदीन करीयो प्रभूजीकी बात ॥ध्रु०॥
मा बाप और बेहेन भाईं कोई नही आयो सातरे ॥१॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर भजन करो दिन रातरे ॥२॥

बासुरी सुनूंगी । मै तो बासुरी सुनूंगी । बनसीवालेकूं जान न देऊंगी ॥ध्रु०॥
बनसीवाला एक कहेगा । एकेक लाख सुनाऊंगी ॥१॥
ब्रिंदाबनके कुजगलनमों । भर भर फूल छिनाऊंगी ॥२॥
ईत गोकुल उत मथुरा नगरी । बीचमें जाय अडाऊंगी ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । चरनकमल लपटाऊंगी ॥४॥

म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे ॥धृ०॥
राधा कहती सुनोजी प्यारे । नाहक सतावत जननी मुरारे ।
अंगन खेलत ले बिजहारे | लुटू लुटू खेलनारे ॥१॥
पेन्हो पीत बसन और आंगीया । मोनो मोतरवाला कन्हैया ।
रोवे कायकू लोक बुझाया । हासती ग्वालनारे ॥२॥
चंदन चौक उपर न्हालाऊं । मीश्री माखन दूध पिलावूं ।
मंदिर आपने हात हलाऊं । जडाऊं पालनारे ॥३॥
मीराके प्रभु दीनदयाला । वहां तुम सावध परम कृपाला ।
तन मन धन वारी जै गोपाला । मेरे मन बोलनारे ॥४॥
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