अब मीरां मान लीजी म्हांरी मीरा पदावली

अब मीरां मान लीजी म्हांरी मीरा बाई पदावली

अब मीरां मान लीजी म्हांरी
अब मीरां मान लीजी म्हांरी, हो जी थांने सखियाँ बरजे सारी ।।टेक।।
राणा बरजे, राणी बरजे, बरजे सब परिवारी।
कुँवर पाटवी सो भी बरजे, और सहेल्यां सारी।
सीसफूल सिर ऊपर सोहै, बिंदली सोभा भारी।

साधन के ढिंग बैठ-बैठ कै, लाज गमाई सारी।
नित प्रति उठि नीच घर जाओ, कुल को लगाओ गारी।
बड़ा घराँ की छोरूं कहावो, नाचो दे दे तारी।
वर पायो हिन्दुवाणे सूरज, इब दिल में काँई धारी।
तार्यो पीहर, सासरों तार्यो, माय मोसाली तारी।
मीराँ ने सद्गुरू मिलिया जी, चरण कमल बलिहारी।।

(थाँने=तुमको, बरजे=रोकती हैं, कुँवर पाटवी=सस्भवतः भोजराज, बिंदली=बिन्दी की, साधन के ढिंग=साधुओं
के पास, लाज=लज्जा, गमाई=नष्ट कर दी, गारी= गारा,कलंक, छोरूँ=लड़की, हिन्दुवाणए सूरज=हिन्दुओं में सूरज के समान,अत्यन्त पराक्रमी, काँई=क्या)
 
मन की दृढ़ता जब प्रभु के प्रेम में रंग जाती है, तो संसार की हर बाधा तुच्छ हो जाती है। न सखियों की बातें, न राणा-रानी का विरोध, न परिवार की नाराजगी, न समाज का तिरस्कार—कुछ भी उस आत्मा को डिगा सकता, जो परमात्मा के रंग में डूब चुकी है। यह प्रेम वह अग्नि है, जो बाहरी बंधनों को जला देती है, और केवल प्रभु के प्रति समर्पण को उजागर करती है।

सिर पर सजे सौंदर्य के फूल, माथे की बिंदिया, ये सब बाहरी अलंकार हैं, पर सच्चा सौंदर्य तो मन की शुद्धता में है। साधु-संगति में बैठकर, दुनिया की लज्जा को छोड़ देना, यह उस आत्मा की निश्छलता है, जो कुल की मर्यादा से ऊपर उठकर केवल प्रभु को देखती है। जैसे नदी अपने किनारों को छोड़कर सागर की ओर बहती है, वैसे ही यह मन संसार को छोड़ प्रभु की शरण में चला जाता है।

संसार कहता है, उच्च कुल की कन्या हो, फिर भी नीच के संग क्यों? पर यह मन जानता है कि सच्चा ऊँचा कुल वही, जहाँ प्रभु का नाम बसता है। नाचना, ताली बजाना, यह सब भक्ति की मस्ती है, जिसमें दुनिया की नजरें गौण हो जाती हैं। जैसे कोई दीवाना प्रियतम के लिए सब कुछ भूल जाए, वही दीवानगी इस भक्ति में झलकती है।

संसार के रिश्ते—मायका, ससुराल, माता-पिता—सब छूट जाते हैं, जब सच्चा गुरु मिलता है। गुरु के चरणों में वह शक्ति है, जो आत्मा को बंधनों से मुक्त करती है। यह गुरु का आलोक है, जो हृदय में प्रभु का दीप जलाता है। जो इस मार्ग पर चल पड़ा, उसका जीवन सूरज की तरह तेजस्वी हो जाता है, जो न केवल स्वयं को, बल्कि दूसरों को भी रोशनी देता है।
 
Next Post Previous Post