अब मीरां मान लीजी म्हांरी मीरा बाई पदावली
अब मीरां मान लीजी म्हांरी
अब मीरां मान लीजी म्हांरी, हो जी थांने सखियाँ बरजे सारी ।।टेक।।
राणा बरजे, राणी बरजे, बरजे सब परिवारी।
कुँवर पाटवी सो भी बरजे, और सहेल्यां सारी।
सीसफूल सिर ऊपर सोहै, बिंदली सोभा भारी।
साधन के ढिंग बैठ-बैठ कै, लाज गमाई सारी।
नित प्रति उठि नीच घर जाओ, कुल को लगाओ गारी।
बड़ा घराँ की छोरूं कहावो, नाचो दे दे तारी।
वर पायो हिन्दुवाणे सूरज, इब दिल में काँई धारी।
तार्यो पीहर, सासरों तार्यो, माय मोसाली तारी।
मीराँ ने सद्गुरू मिलिया जी, चरण कमल बलिहारी।।
(थाँने=तुमको, बरजे=रोकती हैं, कुँवर पाटवी=सस्भवतः
भोजराज, बिंदली=बिन्दी की, साधन के ढिंग=साधुओं
के पास, लाज=लज्जा, गमाई=नष्ट कर दी, गारी=
गारा,कलंक, छोरूँ=लड़की, हिन्दुवाणए सूरज=हिन्दुओं
में सूरज के समान,अत्यन्त पराक्रमी, काँई=क्या)