जोगिया जी निसदिन जोऊं बाट लिरिक्स

जोगिया जी निसदिन जोऊं बाट लिरिक्स

जोगिया जी निसदिन जोऊं बाट
जोगिया जी निसदिन जोऊं बाट।।टेक।।
पाँ न चालै पंथ दूहेलो; आड़ा ओघट घाट।
नगर आइ जोगी रस गया रे, मो मन प्रीत न पाइ।
मैं भोली भोलापन कीन्हो, राख्यौ नहिं बिलमाइ।
जोगिया कूँ जोवत बोहो दिन बीता, अजहूँ आयो नांहि।
विरह बुझावण अन्तरि आवो, तपन लगी तन मांहि। कै तो जोगी जग में नांही, कैर बिसारी मोइ।
कांई करूँ कित जाऊँरी सजनी नैण गुमायो रोइ।
आरति तेरी अन्तरि मेरे, आवो अपनी जांणि।
मीराँ व्याकुल बिरहिणी रे, तुम बिनि तलफत प्राणि।।
(जोऊं बाट=राह देखना,प्रतीक्षा करना, दूहेलो=विकट, भयंकर, आड़ा=संकीर्ण, औघटघाट=विचित्र मार्ग, बिलमाइ=
प्रेम में फँसाना, बोहो=बहुत, गुमायो=नष्ट कर दिया, आरति=लालसा, तलफत प्राणि=प्राण तड़पते हैं)
---------------------------

Next Post Previous Post