अरज करे छे मीरा रोकडी मीरा पदावली

अरज करे छे मीरा रोकडी मीरा बाई पदावली

अरज करे छे मीरा रोकडी
अरज करे छे मीरा रोकडी। उभी उभी अरज॥टेक॥
माणिगर स्वामी मारे मंदिर पाधारो सेवा करूं दिनरातडी॥१॥
फूलनारे तुरा ने फूलनारे गजरे फूलना ते हार फूल पांखडी॥२॥
फूलनी ते गादी रे फूलना तकीया फूलनी ते पाथरी पीछोडी॥३॥
पय पक्कानु मीठाई न मेवा सेवैया न सुंदर दहीडी॥४॥
लवींग सोपारी ने ऐलची तजवाला काथा चुनानी पानबीडी॥५॥
सेज बिछावूं ने पासा मंगावूं रमवा आवो तो जाय रातडी॥६॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर तमने जोतमां ठरे आखडी॥७॥ 
 
मन की पुकार प्रभु तक पहुँचने की तीव्र लालसा है, एक ऐसी अकुलाहट जो रात-दिन बनी रहती है। यह आत्मा का वह आग्रह है, जो परमात्मा को अपने हृदय के मंदिर में बुलाता है, जहाँ हर पल उनकी सेवा ही जीवन का ध्येय बन जाता है। जैसे कोई प्रिय अतिथि के स्वागत में दिन-रात जुटा रहे, वैसे ही यह भक्त मन प्रभु के लिए हर क्षण समर्पित है।

प्रभु के चरणों में फूल अर्पित करने का भाव केवल बाहरी रस्म नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और प्रेम का प्रतीक है। फूलों का तुरा, गजरा, हार, या पंखुड़ियाँ—ये सब आत्मा की कोमल भावनाएँ हैं, जो प्रभु को प्रसन्न करने के लिए सजाई जाती हैं। यह प्रेम इतना गहरा है कि सारी सृष्टि उसमें शामिल हो जाती है, जैसे फूलों की सुगंध हवा में घुलकर हर ओर फैलती है।

प्रभु के लिए बिछाई गई सेज, फूलों की गद्दी, तकिया, और पलंग का हर कोना उस प्रेम से सजा है, जो सादगी में भी पूर्णता लाता है। यह सजावट बाहरी नहीं, बल्कि मन की वह अवस्था है, जहाँ हर विचार, हर भाव प्रभु के लिए पवित्र हो जाता है। जैसे कोई माँ अपने बच्चे के लिए बिस्तर सजाती है, वही ममता इस भक्ति में झलकती है।

अर्पण में मिठाई, मेवा, या दही नहीं, बल्कि सच्चे मन का रस है। लौंग, सुपारी, इलायची, और पान का बीड़ा—ये सांसारिक वस्तुएँ नहीं, बल्कि भक्ति की सुगंध और स्वाद हैं, जो प्रभु को भाते हैं। यह भेंट उस प्रेम की तरह है, जो छोटी-सी लगे, पर उसमें पूरा हृदय समाया हो।

प्रभु के साथ रमने की इच्छा, पासा मँगवाने का भाव, रात को प्रभु के साथ बिताने की चाह—यह सब उस आत्मा की पुकार है, जो सांसारिक सुखों को छोड़कर केवल प्रभु के रंग में रंगना चाहती है। यह मिलन की ऐसी घड़ी है, जहाँ समय और संसार दोनों गौण हो जाते हैं।

प्रभु का वह रूप, जो गिरिधर बनकर हृदय में बसता है, वही सच्चा सखा है। यह विश्वास कि प्रभु हमेशा साथ हैं, वह दीपक है, जो जीवन की हर अँधेरी राह को रोशन करता है। जैसे कोई चित्रकार अपनी कृति में जान डाल दे, वैसे ही यह भक्ति प्रभु को हृदय की आँखों में साकार कर देती है।
 
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