किण सँग खेलूँ होली मीरा बाई पदावली
किण सँग खेलूँ होली
किण सँग खेलूँ होली, पिया तज गये हैं अकेली।।टेक।।
माणिक मोती सब हम छोड़े गल में पहनी सेली।
भोजन भवन भलो नहिं लागै, पिया कारण भई गेली।
मुझे दूरी क्यूं म्हेली।
अब तुम प्रीत अवरू सूं जोड़ी हमसे करी क्यूं पहेली।
बहु दिन बीते अजहु न आये, लग रही तालाबेली।
किण बिलमाये हेली।
स्याम बिना जियड़ो सुरझावे, जैसे जल बिना बेली।
मीराँ कूँ प्रभु दरसण दीज्यो, जनम जनम को चेली।
दरस बिन खड़ी दुहेली।।
(सेली=माला,
गेली=पागल, म्हेली=डाल दिया है, पहेली=पहिली, तालाबेली=बेचैनी,
बिलमाये=छोड़ना, त्यागना, बेली=बेल,लता, दुहेली=दुःखी,दुखिया)