माई तेरो काना कोन गुनकारो भजन

माई तेरो काना कोन गुनकारो भजन

 
माई तेरो काना कोन गुनकारो भजन

माई तेरो काना कोन गुनकारो
माई तेरो काना कोन गुनकारो। जबही देखूं तबही द्वारहि ठारो॥टेक॥
गोरी बावो नंद गोरी जशू मैया। गोरो बलिभद्र बंधु तिहारे॥१॥
कारो करो मतकर ग्वालनी। ये कारो सब ब्रजको उज्जारो॥२॥
जमुनाके नीरे तीरे धेनु चराबे। मधुरी बन्सी बजावत वारो॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल मोहि लागत प्यारो॥४॥

कीत गयो जादु करके नो पीया॥ध्रु०॥
नंदनंदन पीया कपट जो कीनो। नीकल गयो छल करके॥१॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कबु ना मीले आंग भरके॥२॥
मीरा दासी शरण जो आई। चरणकमल चित्त धरके॥३॥

कीसनजी नहीं कंसन घर जावो। राणाजी मारो नही॥ध्रु०॥
तुम नारी अहल्या तारी। कुंटण कीर उद्धारो॥१॥
कुबेरके द्वार बालद लायो। नरसिंगको काज सुदारो॥२॥
तुम आये पति मारो दहीको। तिनोपार तनमन वारो॥३॥
जब मीरा शरण गिरधरकी। जीवन प्राण हमारो॥४॥

कुंजबनमों गोपाल राधे॥ध्रु०॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। नीरखत शाम तमाल॥१॥
ग्वालबाल रुचित चारु मंडला। वाजत बनसी रसाळ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनपर मन चिरकाल॥३॥

 
मैया तेरा कान्हा दीवाना हाय राम गलियों में गाये गाना। Maiya tera kanha. Krishna bhajan by renu club
 
माई तेरो काना कोन गुनकारो  
मन कृष्ण के गुणों में खोया है, जो हर पल हृदय के द्वार पर खड़े प्रतीत होते हैं। उनका गोरा रूप, नंद-यशोदा का लाड़ला, बलराम का भाई, ब्रज का उजाला—सब कुछ मन को मोहता है। ग्वालिनों का काला-करम कहना केवल उनका प्रेममय स्वभाव है, जो यमुना के तट पर गायें चराते, मुरली की मधुर तान से सबको रिझाता है। मीरां का मन उनके चरणकमलों में रम गया, जहां प्रेम ही जीवन का आधार है। यह भक्ति का रंग है, जो आत्मा को प्रभु के प्रेम में डुबो देता है।

कीत गयो जादु करके नो पीया  
कृष्ण का प्रेम एक जादू है, जो मन को बांध लेता है। उनका कपट, उनका छल, सब प्रेम की लीला है, जो नंदनंदन की मुरली से निकलता है। मोरमुकुट और पीतांबर की शोभा मन को लुभाती है, पर उनका सच्चा मिलन हृदय की शरण में ही है। मीरां उनकी दासी बन, चरणों में चित्त लगाए, प्रेम की राह पर चलती है। यह प्रेम का वह बंधन है, जो आत्मा को प्रभु के निकट लाता है।

कीसनजी नहीं कंसन घर जावो  
कृष्ण की करुणा और शक्ति अनंत है। उन्होंने अहल्या को तारा, कुंती और पांडवों का उद्धार किया। कुबेर के द्वार से लेकर नरसिंह अवतार तक, उनकी लीलाएं प्रभुता का प्रमाण हैं। दही के लिए आए बालक ने माखन चुराकर मीरां का मन चुरा लिया। उनकी शरण में जीवन और प्राण समर्पित हैं। यह विश्वास है कि प्रभु हर संकट में साथ हैं, और उनकी भक्ति ही जीवन का सत्य है।

कुंजबनमों गोपाल राधे  
कुंजवनों में गोपाल का रूप मन को मोह लेता है। मोरमुकुट, पीतांबर, और तमाल-श्याम देह की छवि हृदय में बस जाती है। ग्वाल-बालों के साथ उनकी मुरली की रसभरी तान ब्रज को आनंदित करती है। मीरां का मन उनके चरणों में अनंत काल तक रमता है। यह भक्ति का वह सौंदर्य है, जहां प्रेम और राधा-कृष्ण का मिलन आत्मा को परमानंद देता है।

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