ले चूक मोढ़े ते कावड़ तेरे मिट जाने भजन
ले चूक मोढ़े ते कावड़ तेरे मिट जाने गम भजन
कहंदा चल बम भोले बम भोले बम बम,
नंदी बैल दी करे सवारी तारी जांदा दुनिया सारी,
दुःख मुसीबत कोल न खड़ने बन ने मुश्किल काम,
कहंदा चल बम भोले बम भोले बम बम,
सच्चे मन न जोट जगा ले मुँह मंगियां वर शिव तो पा ले,
शिव ही सताए है शिव ही सूंदर शिव ही पार ब्रह्म
कहंदा चल बम भोले बम भोले बम बम,
माही शिव दा शुक्र मनोदा महिमा शिव शंकर दी गौंडा,
हैप्पी खान भी नाम धिऊणदा सुबह शाम हर दम,
कहंदा चल बम भोले बम भोले बम बम,
सुंदर भजन में कांवर उठाने और शिव की भक्ति में डूबने का जोश भरा आह्वान है। कांवर को कंधे पर उठाना जैसे मन के सारे दुखों को शिव के चरणों में समर्पित करने का प्रतीक है। यह भाव ऐसा है, मानो कोई थका हुआ पथिक अपने बोझ को उतारकर हल्का महसूस करे। "बम भोले" का जयकारा हर कदम पर साथ देता है, जैसे कोई सच्चा साथी मुश्किल राह में हौसला बढ़ाए।
शिव का नंदी के साथ सवारी करना और सारी दुनिया को तारना उनकी महानता को दर्शाता है। कोई दुख या मुसीबत उनके सामने ठहर नहीं सकती। यह विश्वास दिलाता है कि शिव की शरण में हर मुश्किल आसान हो जाती है। जैसे कोई विद्यार्थी कठिन सवाल को हल करने के लिए अपने गुरु पर भरोसा करता है, वैसे ही शिव की भक्ति से हर काम संभव हो जाता है।
सच्चे मन से शिव का ध्यान करने का भाव इस भजन में गहरा है। जब मन में श्रद्धा हो, तो शिव हर मांगी हुई इच्छा पूरी करते हैं। वे ही सृष्टि के रचयिता हैं, और वे ही हर जीव को पार लगाते हैं। यह ऐसा है, जैसे कोई नदी किनारे खड़ा व्यक्ति उस धारा पर भरोसा करे जो उसे सागर तक ले जाए। सच्ची भक्ति में वह शक्ति है, जो मन को हर डर से मुक्त कर देती है।
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