श्री सूर्यनारायण जी की आरती लिरिक्स Suryanarayana Aarti Lyrics
SHRI SURYANARAYAN JI KI AARTIजय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव |
रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता |
षटपत मन मुदकारी, हे दिनमणि ! ताता |
जग के हे रविदेव,जय जय जय रविदेव
नभमण्डल के वासी,ज्योति प्रकाशक देवा |
निज जनहित सुखरासी, तेरी हमसब सेवा |
करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव |
कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी |
निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव
Jay Jay Jay Ravidev, Jay Jay Jay Ravidev |
Rajaneepati Madahaaree, Shatadal Jeevanadaata |
Shatapat Man Mudakaaree, He Dinamani ! Taata |
Jag Ke He Ravidev,jay Jay Jay Ravidev
Nabhamandal Ke Vaasee,jyoti Prakaashak Deva |
Nij Janahit Sukharaasee, Teree Hamasab Seva |
Karate Hain Ravidev, Jay Jay Jay Ravidev |
Kanak Badan Man Mohit, Ruchir Prabha Pyaaree |
Nij Mandal Se Mandit, Ajar Amar Chhavidhaaree
He Suravar Ravidev Jay Jay Jay Ravidev
Surya Aarti, Om Jai Surya Bhagwan
आरती का महत्त्व : पूजा पाठ और भक्ति भाव में आरती का विशिष्ठ महत्त्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्त्व वर्णित है। आरती में अग्नि का स्थान महत्त्व रखता है। अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है। अराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओं को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल का हो सकता है जो पूजा के विधान पर निर्भर करता है। वातावरण को सुद्ध करने के लिए सुगन्धित प्रदार्थों का भी उपयोग किया जाता है। कर्पूर का प्रयोग भी जातक के दोष समाप्त होते हैं।