श्याम बाबा महान किया शीश का दान लिरिक्स Shyam Baba Mahan Lyrics

श्याम बाबा महान किया शीश का दान लिरिक्स Shyam Baba Mahan Lyrics


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श्याम बाबा महान किया शीश का दान,
मुरली वाला भी इनका ऋणी हो गया,
ऐसे थे बर्बरीक लिखी ऐसी तारीख,
नाम दुनिया में इनका अमर हो गया,

माँ से कहने लगे युद्ध देखूंगा,
देख के अब तो परिणाम लोटूगा,
माँ सुन इधर बोलेगा तू किधर,
माँ ने पूछा ऐसा वचन दे दिया,

जो भी हारे गा उसको सहारा बनूँ,
इस वचन से कभी भी न पीछे हटूं
बोले कृष्ण भगवन तेरा सच्चा बलिदान,
तेरी भगति से मैं तो प्रसन्न हो गया,

कृष्ण ने दिया नाम प्रभु कहलाये श्याम.
ये विराजे यहाँ उसका खाटू है धाम,
इन्हे पूजे यहां सब को देते वरदान,
इनकी भगति में सारा यहां खो गया,
श्याम बाबा महान किया शीश का दान

श्री खाटू श्याम जी शीश के दानी

बर्बरीक का जन्म हिडिम्बा और भीम के पुत्र घटोत्कच के रूप में हुआ था। घटोत्कच ने अपनी माँ से वादा किया था कि वह कभी भी विवाह नहीं करेगा। लेकिन जब वह एक वन में घूम रहा था, तो उसने एक सुंदर अप्सरा को देखा और उससे प्रेम हो गया। अप्सरा का नाम चितरांगदा था। चितरांगदा भी घटोत्कच से प्रेम करने लगी। लेकिन वह जानती थी कि घटोत्कच का विवाह नहीं कर सकता। इसलिए उसने एक युक्ति सोची। उसने घटोत्कच को एक फल दिया और कहा कि यह फल उसे अत्यंत बलशाली बना देगा। लेकिन इस फल का एक दुष्प्रभाव भी था। फल खाने के बाद, घटोत्कच को अपना सिर काटना होगा।

घटोत्कच ने फल खा लिया और वह अत्यंत बलशाली हो गया। लेकिन उसने चितरांगदा को अपना सिर काटने के लिए कहा। चितरांगदा ने ऐसा किया और घटोत्कच मर गया। चितरांगदा ने घटोत्कच के सिर को एक तालाब के किनारे दफना दिया। कुछ समय बाद, तालाब के किनारे एक बालक उत्पन्न हुआ। वह बालक बर्बरीक था।

बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनसे एक दिव्य तीर प्राप्त किया। यह तीर किसी भी लक्ष्य को भेद सकता था और उसे कभी भी निशाना चूक नहीं सकता था। महाभारत के युद्ध से पहले, बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा व्यक्त की। उनकी मां ने उन्हें चेतावनी दी कि युद्ध में भाग लेने से उन्हें बड़ी मुसीबत हो सकती है। लेकिन बर्बरीक ने अपनी मां का कहना नहीं माना और युद्ध में जाने के लिए निकल पड़े।

जब बर्बरीक युद्ध के मैदान में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि पांडव और कौरव दोनों ही पक्ष में शक्तिशाली योद्धा हैं। वह युद्ध को निर्णायक रूप से जीतने के लिए किसी भी तरह से मदद करना चाहते थे। बर्बरीक ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें युद्ध में दोनों पक्षों के योद्धाओं को देखकर बताने दें कि कौन जीतेगा। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें एक दृष्टि दी।

दृष्टि में, बर्बरीक ने देखा कि कौरवों के पक्ष में जीत है। वह यह देखकर बहुत दुखी हुए। वह नहीं चाहते थे कि पांडव हारें। बर्बरीक ने भगवान शिव से कहा कि वह युद्ध में भाग लेकर पांडवों की मदद करना चाहते हैं। भगवान शिव ने उन्हें एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि बर्बरीक को युद्ध में भाग लेने के लिए अपना शीश दान करना होगा।

बर्बरीक ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना शीश दान करने के लिए सहमति व्यक्त कर दी। उन्होंने कहा कि वह पांडवों की मदद करना चाहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपना जीवन देना पड़े। बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया। भगवान कृष्ण ने उनके शीश को एक ध्वजा पर रख दिया और युद्ध में पांडवों का नेतृत्व किया। पांडवों ने युद्ध जीता और कौरवों को पराजित किया।

बर्बरीक के शीश दान के लिए उन्हें भगवान कृष्ण ने खाटू श्याम नाम दिया। उनके शीश को आज भी राजस्थान के खाटू में एक मंदिर में रखा गया है। खाटू श्याम जी के भक्त उन्हें एक महान संत और भगवान मानते हैं। बर्बरीक की कहानी हमें बताती है कि कर्तव्य के लिए बलिदान करना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें बताती है कि हमें अपने प्रियजनों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

यह भजन भी बहुत सुंदर है। यह भजन खाटू श्याम बाबा की कहानी को बताता है। यह भजन श्याम बाबा के महान बलिदान और उनकी दया और करुणा को दर्शाता है। भजन के पहले छंद में, भक्त श्याम बाबा की महानता की प्रशंसा करता है। वह कहता है कि श्याम बाबा ने अपने शीश का दान दिया था, और भगवान कृष्ण भी उनके ऋणी हो गए। दूसरे छंद में, भक्त बर्बरीक की कहानी को बताता है। वह कहता है कि बर्बरीक ने अपने माँ से वादा किया था कि वह हारे हुए का साथ देगा। तीसरे छंद में, भक्त भगवान कृष्ण की प्रशंसा करता है। वह कहता है कि भगवान कृष्ण श्याम बाबा के बलिदान से प्रसन्न हुए और उन्हें अपना नाम दिया। चौथे छंद में, भक्त श्याम बाबा के मंदिर और उनकी भक्ति के बारे में बताता है। वह कहता है कि जो भी श्याम बाबा की भक्ति करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पांचवें छंद में, भक्त फिर से श्याम बाबा की महानता की प्रशंसा करता है। वह कहता है कि श्याम बाबा का बलिदान महान था, और उनकी भक्ति से सभी का कल्याण होता है।

यह भजन हमें श्याम बाबा की कहानी और उनकी महानता के बारे में बताता है। यह भजन हमें श्याम बाबा की भक्ति करने के लिए प्रेरित करता है।

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