चरन कमल बंदौ हरि राई सूर दास हिंदी मीनिंग Charan Kamal Bando Meaning

 चरन कमल बंदौ हरि राई सूर दास के पद हिंदी लिरिक्स सूर के पद Soor Ke Pad चरन कमल बंदौ हरि राई


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चरन कमल बंदौ हरि राई ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै आंधर कों सब कछु दरसाई॥
बहिरो सुनै मूक पुनि बोलै रंक चले सिर छत्र धराई ।
सूरदास स्वामी करुनामय बार-बार बंदौं तेहि पाई ॥१॥

शब्दार्थ राई राजा। पंगु लंगड़ा। लघै लांघ जाता है पार कर जाता है। मूक गूंगा। रंक निर्धन गरीब कंगाल। छत्र धरा राज-छत्र धारण करके। तेहि तिनके। पाई चरण।

भावार्थ : जिस पर श्रीहरि की कृपा हो जाती है उसके लिये असंभव भी सभव हो जाता है। लूला-लंगड़ा मनुष्य पर्वत को भी लांघ जाता है। अंधे को गुप्त और प्रकट सबकुछ देखने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। बहरा सुनने लगता है। गूंगा बोलने लगता है कंगाल राज-छत्र धारण कर लेता हे। ऐसे करूणामय प्रभु की पद-वन्दना कौनअभागा न करेगा।

इस पद में सूरदास जी कहते हैं कि जिन पर श्रीकृष्ण की कृपा हो जाती है, उनके लिए असंभव भी संभव हो जाता है। पंगु पर्वत को लांघ सकता है, अंधा सब कुछ देख सकता है, बहरा सुन सकता है और गूंगा बोल सकता है। यहां तक कि कंगाल भी राजा बन सकता है। सूरदास जी कहते हैं कि ऐसे करूणामय प्रभु की पद-वन्दना कौन अभागा नहीं करेगा?

इस पद में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की कृपा के कुछ चमत्कारों का वर्णन किया है। इन चमत्कारों से यह पता चलता है कि श्रीकृष्ण की कृपा असीम है। वह किसी भी व्यक्ति की मदद कर सकते हैं, चाहे वह कितना भी असहाय क्यों न हो। इस पद का संदेश यह है कि हमें हमेशा श्रीकृष्ण की कृपा पाने की कोशिश करनी चाहिए। उनकी कृपा से हम अपने जीवन में सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

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2 टिप्पणियां

  1. Charan kamal bandoo Hari Rai
  2. charanKamal Banda Hari Rai