यहाँ वहाँ सारे जहाँ में तेरा राज
यहाँ वहाँ सारे जहाँ में तेरा राज है
यहाँ वहा सारे जहाँ में तेरा राज है,खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार,
खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार।
तेरे ही तो सर पे,
इस कलयुग का भार है,
खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार।
लीला तेरी तू ही जाने,
भेद तेरा कोई ना जाने,
इक इशारे पे नाचे,
तेरे सब जग वाले,
डोर सारे भक्तो की तेरे ही हाथ है,
यहाँ वहा सारे जहाँ में तेरा राज है,
खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार।
बेसहारों का सहारा,
डूबता का तू किनारा,
अर्पण कर दिया जीवन,
मैंने तुमको सारा,
निर्धन के धन है शाम देने के नाथ है,
खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार।
तेरा नहीं कोई सानी,
तुमसे बड़ा कोई न दानी,
तेरी महिमा गाये ऋषि मुनि ज्ञानी,
सेवक अमन तेरे चरणों का दास है,
खाटू वाले श्याम,
तेरी जय जय कार।
सुंदर भजन में खाटू वाले श्रीकृष्णजी की महिमा और उनके प्रति भक्त की अटूट भक्ति का भावपूर्ण चित्रण है। यह ऐसा है, जैसे कोई सारे जहाँ में श्याम के राज को देखकर उनकी जय-जयकार कर रहा हो। “यहाँ वहाँ सारे जहाँ में तेरा राज है” की पंक्ति उनकी सर्वव्यापी शक्ति और कृपा को दर्शाती है, जैसे कोई अपने प्रिय को सृष्टि का सच्चा स्वामी माने।
कलयुग का भार श्याम के सर पर होने का जिक्र उस विश्वास को प्रकट करता है, जो भक्त को यह यकीन दिलाता है कि श्रीकृष्णजी ही इस युग के रक्षक हैं। उनकी लीलाओं का भेद कोई न जान पाए और एक इशारे पर सारा जग नाचे, यह उनकी अलौकिक शक्ति और रसिकता को उजागर करता है, जैसे कोई अपने गुरु की हर अदा पर मुग्ध हो। भक्तों की डोर उनके हाथ में होने का भाव उस पूर्ण समर्पण को दिखाता है, जैसे कोई कहे, “मेरा सब कुछ तेरा है।”
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