मिश्री को बाग़, लगादे रसिया नीम की निमोड़ी, म्हाने खारी लागे मिश्री को बाग़, लगादे, रसिया नीम की निमोड़ी, म्हाने खारी लागे खारी लागे रे म्हाने, खारी लागे नीम की निमोड़ी, म्हाने खारी लागे मिश्री को बाग़, लगादे रसिया नीम की निमोड़ी, म्हाने खारी लागे
ओ जी ओ ओ जी ओ रंग रंगीला म्हारा साहेब थे तो थाकि सावली थाकि सावली सूरत मतवाली लागे
नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे थाकि सावली . थाकि सावली सूरत मतवाली लागे नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे मिश्री को बाग़ लगादे रसिया नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे
ओ जी ओ . ओ जी ओ सामने पड़ोसन देखो सुर्मो घारे ठुमका करती छम छम चाले बातो फुटेरी सी, बातो फुटेरी सी म्हाने एक झारी लागे उजेड़ी सी म्हाने एक क्यारी लागे बातो फुटेरी सी म्हाने एक झारी लागे उजेड़ी सी म्हाने एक क्यारी लागे मिश्री को बाग़ लगादे रसिया
Rajasthani Songs Lyrics
नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे
ओ जी ओ, ओ जी ओ थे भी तो बिने लुक छिप झांको खिड़की खोलो झुक झुक झांको म्हाने सावली म्हाने सावली पड़ोसन कामंगारी लागे नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे म्हाने सावली पड़ोसन कामंगारी लागे नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे मिश्री को बाग़ लगादे रसिया नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे
में तो इब थाने लागूं हु पुरानी रिसी बातया मत कर सुनले रानी
तू तो म्हाने , तू तो म्हाने रूप की ढ्हिरानी लागे प्यारी प्यारी म्हाने गृहरानी लागे तू तो म्हाने रूप की ढ्हिरानी लागे प्यारी प्यारी म्हाने गृहरानी लागे मिश्री को बाग़ लगास्या हिरिये नीम की निमोड़ी थाने खारी लागे मिश्री को बाग़ लगादे रसिया नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे
राजस्थानी संगीत में मरुधरा की सुगंध बसी हुयी है। राजाओं की भूमि है राजस्थान। संघर्षमय जीवन के बावजूद भी संगीत यहां जिन्दा है। जुझारू जीवन शैली में संगीत का अपना अलग ही सौंदर्य होता है। घूमर, कालबेलिया, कठपुतली नृत्य और रावण हत्थे पर गाये जाने वाले पारम्परिक गीत भी अपनी अलग ही छँटा बिखेरते हैं। राजस्थान में संगीत भी जातियों और क्षेत्र पर निर्भर है। जैसे की लंगा, सपेरा, भोपा, मांगणियार, मिराशी, ढोली, जोगी आदि। राजस्थानी संगीत मूल रूप से दो शाखाओं में विभक्त किया जा सकता है। प्रथम तो देवी देवताओं के समर्पित गायन जो की क्षेत्रीय स्तर पर मान्यताओं के आधार पर लोक देवी देवताओं के लिए गाये जाते हैं। आज भी तेजा जी, पाबू जी और जागरण में अपनी मान्यताओं के हिसाब से संगीत और गायन का चयन होता है।
संगीत घरानों में राजस्थान के जयपुर घराना,जयपुर घराना, डागर घराना, मेवाती घराना और अल्लादिया खां घराना प्रमुख हैं। दूसरे किस्म के संगीत में राजा महाराजाओं के मनोरजन के लिए गायन का विकास हुआ है। इस गायन में मस्ती है उल्लास है और जीवन के विविध आयाम भी हैं। धीरे धीरे यह गायन महलों से निकलकर आम जन जीवन का भी हिस्सा बनता गया। वर्तमान में राजस्थानी संगीत का विकास अलग ही तरीके से हुआ है। अब संगीत का कोई निश्चित पैमाना नहीं रहा है। ये बॉलीवुड से भी प्रेरित है तो व्रैप सांग्स से भी। नृत्य में प्रमुखतया घूमर, गायत घूमर, चाल, कच्ची घोड़ी , फायर डांस तेरह ताली और कठपुतली नृत्य प्रमुख हैं।
मिश्री को बाग़ लगादे रसिया नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे मिश्री को बाग़ लगादे रसिया नीम की निमोड़ी म्हाने खारी लागे
Mirshri Ko Baag Laga De Rasiya Neem Ki Nimoli Mhare Khari Laage
राजस्थानी लोकगीतों में नायिका की वेशभूषा का वर्णन अक्सर किया जाता है। यह वर्णन नायिका के सौंदर्य और व्यक्तित्व को दर्शाता है। राजस्थानी महिलाओं के लिए चुनरी एक महत्वपूर्ण परिधान है। यह महिलाओं की सुंदरता और सम्मान का प्रतीक है। राजस्थानी लोकगीतों में नायिका को अक्सर चुनरी पहने हुए दिखाया जाता है।