रंग मत डारे रे सांवरिया म्हारो गूजर मारे

रंग मत डारे रे सांवरिया म्हारो गूजर मारे रे

रंग मत डारे रे सांवरिया म्हारो गूजर मारे रे लिरिक्स Rang Mat Daare Re Lyrics
 
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।
महे गूजरी नादान, म्हारो गुजर है मतवारो रे,
रंग मत डारे रे।
होली खेले तो कान्हा बरसाने में आजे रे,
राधा और रुक्मण नै सागै,
लेतो आजे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

घर मत आज्ये कान्हा, सास बुरी छै रे,
ननदुली नादान म्हाने, बोल्या मारे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

सास बुरी छः म्हारी, ननद हठीली …
परनियो बेईमान म्हाने, नितकी मारे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

मै दही बेचन, जाऊँ रे वृन्दावन,
मारग माही बैठयो म्हारो, मोहन प्यारो रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया,
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि,
हरि चरणां में म्हारों , चित छै रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।


Rang Mat Dare Re Sawriya रंग मत डाले सांवरिया मारो गुजर मारे रे Rang mat dale re sawariya bhajan

"रंग मत डारे रे सांवरिया" एक लोकप्रिय राजस्थानी होली गीत है। इस गीत में, एक गूजरी अपने प्रेमी कृष्ण से होली खेलने के लिए उसे बरसाने आने के लिए कहती है। वह कृष्ण से कहती है कि उसकी सास और ननद उसे परेशान करती हैं, और वह केवल कृष्ण के साथ होली खेलकर ही खुश हो सकती है।

गीत के बोल इस प्रकार हैं:
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।
महे गूजरी नादान, म्हारो गुजर है मतवारो रे,
रंग मत डारे रे।

होली खेले तो कान्हा बरसाने में आजे रे,
राधा और रुक्मण नै सागै,
लेतो आजे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

घर मत आज्ये कान्हा, सास बुरी छै रे,
ननदुली नादान म्हाने, बोल्या मारे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

सास बुरी छः म्हारी, ननद हठीली …
परनियो बेईमान म्हाने, नितकी मारे रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

मै दही बेचन, जाऊँ रे वृन्दावन,
मारग माही बैठयो म्हारो, मोहन प्यारो रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया,
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि,
हरि चरणां में म्हारों , चित छै रे,
रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

रंग मत डारे रे सांवरिया
म्हारो गूजर मारे रे,
रंग मत डारे रे।

इस गीत में, गूजरी अपनी सास और ननद से भी नाराज है। वह कहती है कि वे उसे परेशान करती हैं और उसे कृष्ण के साथ होली खेलने से रोकती हैं। गूजरी कृष्ण से कहती है कि वह केवल कृष्ण के साथ होली खेलकर ही खुश हो सकती है। गीत का अंतिम भाग गूजरी की भक्ति की ओर इशारा करता है। वह कृष्ण की छवि की पूजा करती है और उनके चरणों में अपना मन लगाती है। वह कहती है कि वह केवल कृष्ण के साथ ही खुश हो सकती है। यह गीत होली के त्योहार की खुशी और प्रेम की भावना को दर्शाता है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि प्रेम और भक्ति जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं।
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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