होली में फ़ाग खिलेगो मोहे मोहे श्याम रंग लिरिक्स Holi Me Fag Khilaygo Lyrics, Khatu Shyam ji Bhajan
रंग मत डारे रे सांवरिया
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
होली खेले तो कान्हा बरसाने में आजे रे ..
राधा और रुक्मण नै सागै , लेतो आजे रे .. रंग मत डारे रे।
घर मत आज्ये कान्हा , सास बुरी छै रे …
ननदुली नादान म्हाने ,बोल्या मारे रे ..रंग मत डारे रे।
सास बुरी छः म्हारी ,ननद हठीली …
परनियो बेईमान म्हाने , नितकी मारे रे ..रंग मत डारे रे।
मै दही बेचन ,जाऊँ रे वृन्दावन …
मारग माही बैठयो म्हारो , मोहन प्यारो रे ..रंग मत डारे रे।
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि …
हरि चरणां में म्हारों , चित छै रे ..रंग मत डारे रे।
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
होली खेले तो कान्हा बरसाने में आजे रे ..
राधा और रुक्मण नै सागै , लेतो आजे रे .. रंग मत डारे रे।
घर मत आज्ये कान्हा , सास बुरी छै रे …
ननदुली नादान म्हाने ,बोल्या मारे रे ..रंग मत डारे रे।
सास बुरी छः म्हारी ,ननद हठीली …
परनियो बेईमान म्हाने , नितकी मारे रे ..रंग मत डारे रे।
मै दही बेचन ,जाऊँ रे वृन्दावन …
मारग माही बैठयो म्हारो , मोहन प्यारो रे ..रंग मत डारे रे।
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि …
हरि चरणां में म्हारों , चित छै रे ..रंग मत डारे रे।
रंग मत डारे रे सांवरिया , म्हारो गूजर मारे रे…रंग मत डारे रे।
मै गूजरी नादान ये गूजर मतवारो रे ..रंग मत डारे रे।
Holi 2019 होली में फ़ाग खिलायगो मोहे मोहे श्याम रंग || Holi Me Fag Khilaygo Mohe Mohe Shyam Rung ||
श्याम होली खेलने आया , रसिया का वेष बनाया फाग का लोकप्रिय भजन है। होली के मस्ती भरे गीत जिनमें मधुरता के साथ शरारत भी होती है। एक समय था जब फाल्गुन महीना लगते ही होली की मस्ती शुरू हो जाती थी। एक महीने पहले होली का डंडा रोप दिया जाता था। लोग वहां इकट्ठे होकर गाते बजाते थे और उत्सव मनाते थे। अब यह पुरानी संस्कृति का हिस्सा भर रह गया है।
होली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खुशी, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल फेंकते हैं और नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
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रसिया का वेष बनाया , श्याम होली खेलने आया
ग्वालों को संग में लाया , श्याम होली खेलने आया ।
सखाओं की टोली , बोले होरी -2 ( होरी है )
चहुँ ओर ही आनन्द छाया । ।
श्याम होली खेलने आया
अबीर झोली भरा ,रंग लाल-हरा – 2
भरि भरि के मुठ्ठी उड़ाया । ।
श्याम होली खेलने आया
बरसाने की गैल , होली खेले श्याम छैल – 2
हुरदंगा खूब मचाया । ।
श्याम होली खेलने आया
ललिता दौड़ी – दौड़ी आई , होरी खेले कृष्ण कन्हाई – 2
आके राधा को बताया । ।
श्याम होली खेलने आया
ले सखियों को संग , घोर कलशन में रंग – 2
पिचकारिन रंग बरसाया । ।
श्याम होली खेलने आया
खेलो होरी श्यामा-श्यामा , संग ग्वाल और ब्रजधाम – 2
ब्रज ग्वालिन मन हरषाया । ।
श्याम होली खेलने आया
बड़ौ होरी को चाव , पायो कान्हा ने दाँव – 2
मुख नारी रूप बनाया । ।
श्याम होली खेलने आया
कीन्ही पल की न देर , लिया कान्हा की घेर – 2
नर से नारी रूप बनाया । ।
श्याम होली खेलने आया
रंगीली होरी मची , मधुर बंशी बजी – 2
कान्हा का दर्शन पाया । ।
श्याम होली खेलने आया
होली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खुशी, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल फेंकते हैं और नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
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