जय सिया राम की बोल के

जय सिया राम की बोल के

जब रावण पापी ना माना,
प्यार से बात तुम्हारी,
जय सिया बोल के,
तुमने फूंक दी लंका सारी
सीता बोली बजरंग बाला,
मैं जाऊ बलहारी,
जय सिया राम की बोल के,
तुमने फूंक दी लंका सारी।

अज्ञानी पापी ने तुम्हरी,
पूंछ में आग लगा दी,
मन में दबी थी क्रोध की ज्वाला,
जुल्मी ने बढ़ा दी,
समझ लिया बानर तुम को,
लंकेश की मत गई मारी,
जय सिया राम की बोल के,
तुमने फूंक दी लंका सारी।

राख बना दी पल भर में,
सोहने की चमकती लंका,
बजा दियां बाला जी तुमने,
राम नाम का डंका,
कर दिया ये एलान मरोगे,
अब सब बारी बारी,
जय सिया राम की बोल के,
तुमने फूंक दी लंका सारी।

दस के दस सिर घूम गए,
रावण ने ये जब देखा,
लगा सोचने पार करि,
क्यों मर्यादा की रेखा,
क्या होगा जब आएगी,
श्री राम की यह सवारी,
जय सिया राम की बोल के,
तुमने फूंक दी लंका सारी।
 

यह भजन भगवान राम के महान भक्त हनुमान की कहानी बताता है। भजन में, भक्त हनुमान की शक्ति और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा करते हैं। भजन के पहले दो श्लोकों में, भक्त हनुमान के महान भक्ति के बारे में बताते हैं। वे कहते हैं कि हनुमान ने सीता की खोज में लंका की यात्रा की, और उन्होंने रावण से सीता को छोड़ने के लिए कहा।
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