जनम तेरा बातों ही बीत गयो लिरिक्स Janam Tero Baato Hi Beet Lyrics

इस भजन का मूल सन्देश यह है कि हमें अपने जीवन का सदुपयोग करना चाहिए। हमें अपने समय का उपयोग ईश्वर के बारे में जानने और उसके मार्ग पर चलने के लिए करना चाहिए। कबीर दास कहते हैं कि जीवन बहुत छोटा है और इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। हम सभी अपने जीवन की शुरुआत में भोले और मासूम होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, हम दुनिया की मायाओं में फंस जाते हैं। हम धन, प्रसिद्धि, और शक्ति के लिए लालची हो जाते हैं। हम सांसारिक मामलों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम ईश्वर को याद करना भूल जाते हैं।

कबीर दास कहते हैं कि अगर हम अपना जीवन व्यर्थ की बातों में बर्बाद कर देंगे, तो हम पछताएंगे। जब हम बूढ़े हो जाएंगे और हमारे पास समय नहीं बचेगा, तो हम यह महसूस करेंगे कि हमने अपना जीवन व्यर्थ गंवा दिया है। इस भजन का संदेश हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन का सदुपयोग करना चाहिए और ईश्वर के मार्ग पर चलना चाहिए।

जनम तेरा बातों ही बीत गयो लिरिक्स Janam Tero Baato Hi Beet Lyrics, Janam Tero Bato Hi Beet Gayo

 
जनम तेरा बातों ही बीत गयो लिरिक्स Janam Tero Baato Hi Beet Lyrics, Janam Tero Bato Hi Beet Gayo

 जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।

पाँच बरस को भोलो भालो,
अब तो बीस भयो,
मकर पच्चीसी माया के कारण,
देश विदेश गयो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।

तीस बरस की अब मति उपजी,
लोभ बढ़े नित नयो,
माया जोड़ी लाख करोड़ी,
अजहू न तृप्त भयो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।

वृद्ध भयो तब आलस उपज्यो,
कफ नित कंठ नयो,
साधू संगति कबहू न किन्ही,
बिरथा जनम गयो
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।

यो जग सब मतलब को
लोभी झूठो ठाठ ठयो
कहत कबीर समझ
मन मूरख तूं क्यूँ भूल गयो
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।

Second Bhajan Lyrics in Hindi (Janm Tero Baato Hi Beet Gayo)

जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो।

पाँच बरस को भोला भाला,
अब तो बीस भयो,
मकर पचीसी माया कारण,
देश विदेश गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो।

तीस बरस की अब मति उपजी,
लोभ बढ़े नित नयो,
माया जोड़ी तूने लाख करोड़ी,
पर अजहू न तृप्त भयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो।

वृद्ध भयो तब आलस उपज्यो,
कफ नित कंठ नयो,
साधू संगति कबहू न किन्ही,
बिरथा जनम गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो।  

ये संसार मतलब को लोभी,
झूठा ठाठ रच्यो,
कहत कबीर समझ मन मूरख,
तू क्यूँ भूल गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो।

जनम तेरा बातों ही बीत गयो,
रे तूने कबहू ना कृष्ण कह्यो,
जनम तेरा बातों ही बीत गयो।



Janam Tera Baaton Hi Beet Gayo


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