कबीर की साखी हिंदी में Kabir साखी in Hindi साखी | साखी संग्रह | कबीर दास की साखी हिन्दी |


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आत्माँ अनंदी जोगी, पीवै महारस अंमृत भोगी॥टेक॥
ब्रह्म अगनि काया परजारी, अजपा जाप जनमनी तारी॥
त्रिकुट कोट मैं आसण माँड़ै, सहज समाधि विषै सब छाँड़ै॥
त्रिवेणी बिभूति करै मन मंजन, जन कबीर प्रभु अलष निरंजन॥
 
कबीर की साखी हिंदी में Kabir साखी

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