कबीरदास जी के भजन "नींद से अब जाग बंदे" का मूल सन्देश यह है कि हमें सांसारिक मोह और वासनाओं से ऊपर उठकर ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। ईश्वर ही वास्तविकता है, और हमें इस जीवन में ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। कबीरदास जी कहते हैं कि नींद मृत्यु का प्रतीक है। जब हम सोते हैं, तो हम अपने जागृत जीवन से अलग हो जाते हैं। इसी तरह, जब हम मृत्यु को प्राप्त करते हैं, तो हम इस जीवन से अलग हो जाते हैं। इसलिए, हमें इस जीवन में ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। वे कहते हैं कि हमें सांसारिक मोह और वासनाओं से ऊपर उठना चाहिए। हमें इन मोह और वासनाओं को छोड़कर, ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। वे कहते हैं कि ईश्वर ही वास्तविकता है। सांसारिक जीवन एक सपना है, जो जल्द ही खत्म हो जाएगा। इसलिए, हमें इस सपने से जागना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए।
नींद से अब जाग बंदे राम में अब मन रमा लिरिक्स Neend Se Aub Jaag Bande Lyrics, Neend Se Aub Jaag Bande Ram Me Aub Man Rama
नींद निशानी मौत की,
उठ कबीरा जाग,
और रसायन छाड़ि दे,
नाम रसायन लाग।
नींद से अब जाग बंदे,
राम में, अब मन रमा,
निर्गुणा से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
नींद से अब जाग बंदे।
हो गई है भोर कब से,
ज्ञान का सूरज उगा,
जा रही हर साँस बिरथा,
साईं सुमिरन में लगा,
नींद से अब जाग बंदे।
फिर न पायेगा तू अवसर,
कर ले अपना तू भला,
स्वप्न के बंधन है झूठे,
मोह सेमन को छुड़ा,
नींद से अब जाग बंदे।
धार ले सतनाम साथी,
बन्दगी करले जरा,
नैन जो उलटे कबीरा,
साईं तो सन्मुख खड़ा,
नींद से अब जाग बंदे।
नींद से अब जाग बंदे,
राम में, अब मन रमा,
निर्गुणा से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
नींद से अब जाग बंदे।
उठ कबीरा जाग,
और रसायन छाड़ि दे,
नाम रसायन लाग।
नींद से अब जाग बंदे,
राम में, अब मन रमा,
निर्गुणा से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
नींद से अब जाग बंदे।
हो गई है भोर कब से,
ज्ञान का सूरज उगा,
जा रही हर साँस बिरथा,
साईं सुमिरन में लगा,
नींद से अब जाग बंदे।
फिर न पायेगा तू अवसर,
कर ले अपना तू भला,
स्वप्न के बंधन है झूठे,
मोह सेमन को छुड़ा,
नींद से अब जाग बंदे।
धार ले सतनाम साथी,
बन्दगी करले जरा,
नैन जो उलटे कबीरा,
साईं तो सन्मुख खड़ा,
नींद से अब जाग बंदे।
नींद से अब जाग बंदे,
राम में, अब मन रमा,
निर्गुणा से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
नींद से अब जाग बंदे।
नींद से अब जाग बंदे,
राम में, अब मन रमा,
निर्गुणा से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
नींद से अब जाग बंदे।
Neend Se Ab Jaag Bande
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