राम रहीमा एकै है रे काहे करो लड़ाई
काहे करौ लड़ाई,
वह निर्गुणिया अगम अपारा,
तीनों लोक सहाई।
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।
वेद पढंते पंडित होवे,
सत्यनाम नहीं जाना,
कहे कबीरा ध्यान,
भजन से पाया पद निर्वाण,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।
एक ही माटी की सब काया,
ऊँच नींच कोउ नाहीं,
एकहि ज्योति बरै कबीरा,
सब घट अंतरमा ही,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।
यहु- नुमोलक जीवन पाके,
सतगुरु सबदी ध्याओ
कहे कबीरा अलख में सारी,
एक अलख दरसाओ,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई,
वह निर्गुणिया अगम अपारा,
तीनों लोक सहाई।
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।
Ram Rahima Ekai Hai Re Devotional Bhajan
Ram Rahima Ekai Hai Re · Hari Om Sharan
Singer : Hari Om Sharan
Kahat Kabir Suno Bhai Sadho
℗ Super Cassettes Industries Limited
Released on: 1996-10-22
ईश्वर एक है, चाहे कोई उसे “राम” कहे या “रहीम”। यह वह आवाज़ है जो विभाजन नहीं, मिलन सिखाती है। कबीर का यह भाव हमें याद दिलाता है कि ईश्वर न तो किसी मंदिर की चौखट में सीमित है, न किसी मस्जिद के मीनार में। वह तो हर जीव की सांस में, हर कण में, हर धड़कन में व्याप्त है। मनुष्य का दुर्भाग्य यही है कि वह नामों में अटककर अर्थ से दूर हो जाता है। ज्ञान वही है जो अलगाव मिटा दे, और प्रेम वही जो सब में एक ही ज्योति देखे।
यह संदेश साधारण नहीं — यह चेतावनी है अहंकार के उस दृष्टिभ्रम के लिए जो भक्ति को भी विभाजन का माध्यम बना देता है। कबीर की वाणी बताती है कि जब मन शांत होता है, तब ही ‘निरगुण’ की अनुभूति होती है; वहीं वह सरल पथ है जहाँ कोई पंडित या मौलवी नहीं, केवल साधक होता है। एक ही मिट्टी से बने सब शरीर बार-बार याद दिलाते हैं कि भेद तो हमने बनाया है, प्रकृति ने नहीं। जीवन का सार ज्ञान या कर्म में नहीं, बल्कि उस दृष्टि में है जो सबको एक समान देख सके। यही प्रेम, यही समभाव, यही अलख है—और जो उसे पहचान लेता है, वही सच्चे अर्थों में मुक्त हो जाता है।
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