राम रहीमा एकै है रे काहे करो लड़ाई

कबीर के राम निराकार हैं, वे किसी विशेष रूप या आकार में नहीं हैं। वे ईश्वर को एक अदृश्य शक्ति के रूप में देखते हैं, जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है। कबीर का मानना है कि ईश्वर को नाम-साधना के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। तुलसी के राम सगुण हैं, वे एक विशेष रूप और आकार में हैं। वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो राजा दशरथ के पुत्र के रूप में धरती पर आए थे। तुलसी का मानना है कि राम एक आदर्श व्यक्तित्व हैं, जो जीवन का उद्देश्य को सांकेतिक रूप में प्रदर्शित करते हैं।

राम रहीमा एकै है रे काहे करो लड़ाई भजन


राम रहीमा एकै है रे काहे करो लड़ाई लिरिक्स Ram Rahima Ekai Hai Lyrics

राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई,
वह निर्गुणिया अगम अपारा,
तीनों लोक सहाई।
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।

वेद पढंते पंडित होवे,
सत्यनाम नहीं जाना,
कहे कबीरा ध्यान,
भजन से पाया पद निर्वाण,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।

एक ही माटी की सब काया,
ऊँच नींच कोउ नाहीं,
एकहि ज्योति बरै कबीरा,
सब घट अंतरमा ही,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।

यहु- नुमोलक जीवन पाके,
सतगुरु सबदी ध्याओ
कहे कबीरा अलख में सारी,
एक अलख दरसाओ,
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।

राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई,
वह निर्गुणिया अगम अपारा,
तीनों लोक सहाई।
राम रहीमा एकै है रे,
काहे करौ लड़ाई।

कबीर, मध्ययुगीन भारतीय रहस्यवादी कबीर साहेब सभी धर्मों की मौलिक एकता में विश्वास करते थे विभाजन से परे देखने के महत्व पर जोर देते थे। वे कहते थे की राम और रहीम एक ही हैं। उन्होंने इस विचार को व्यक्त करने के लिए "राम रहीम एक है" वाक्यांश का उपयोग किया, जिसका अनुवाद "राम और रहीम एक ही हैं" के रूप में किया जा सकता है। "राम" और "रहीम" दोनों परमात्मा के नाम हैं, "राम" हिंदू धर्म से जुड़ा है और "रहीम" इस्लाम से जुड़ा है। कबीर ने इस वाक्यांश का उपयोग सभी धर्मों की आवश्यक एकता पर जोर देने और लोगों को बाहरी मतभेदों से परे देखने और सभी चीजों की अंतर्निहित एकता को देखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया। उनका मानना था कि परमात्मा का वास्तविक स्वरूप सभी नामों और रूपों से परे है और इस सत्य को पहचान कर व्यक्ति धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं में अंतर से उत्पन्न होने वाले विभाजन और संघर्षों को दूर कर सकता है। कबीर की शिक्षाएँ सार्वभौमिक प्रेम और करुणा के महत्व पर जोर देती हैं, और उनका मानना था कि सभी प्राणियों की मौलिक एकता को पहचान कर, व्यक्ति आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त कर सकता है और भौतिक संसार के भ्रमों से ऊपर उठ सकता है।



Ram Rahima Ekai Hai Re Devotional Bhajan
Ram Rahima Ekai Hai Re · Hari Om Sharan

Singer : Hari Om Sharan 

Kahat Kabir Suno Bhai Sadho
℗ Super Cassettes Industries Limited
Released on: 1996-10-22

ईश्वर एक है, चाहे कोई उसे “राम” कहे या “रहीम”। यह वह आवाज़ है जो विभाजन नहीं, मिलन सिखाती है। कबीर का यह भाव हमें याद दिलाता है कि ईश्वर न तो किसी मंदिर की चौखट में सीमित है, न किसी मस्जिद के मीनार में। वह तो हर जीव की सांस में, हर कण में, हर धड़कन में व्याप्त है। मनुष्य का दुर्भाग्य यही है कि वह नामों में अटककर अर्थ से दूर हो जाता है। ज्ञान वही है जो अलगाव मिटा दे, और प्रेम वही जो सब में एक ही ज्योति देखे।

यह संदेश साधारण नहीं — यह चेतावनी है अहंकार के उस दृष्टिभ्रम के लिए जो भक्ति को भी विभाजन का माध्यम बना देता है। कबीर की वाणी बताती है कि जब मन शांत होता है, तब ही ‘निरगुण’ की अनुभूति होती है; वहीं वह सरल पथ है जहाँ कोई पंडित या मौलवी नहीं, केवल साधक होता है। एक ही मिट्टी से बने सब शरीर बार-बार याद दिलाते हैं कि भेद तो हमने बनाया है, प्रकृति ने नहीं। जीवन का सार ज्ञान या कर्म में नहीं, बल्कि उस दृष्टि में है जो सबको एक समान देख सके। यही प्रेम, यही समभाव, यही अलख है—और जो उसे पहचान लेता है, वही सच्चे अर्थों में मुक्त हो जाता है।


यह भजन भी देखिये

Next Post Previous Post