भगत पुकारे आज मावड़ी आके लाज भजन
भगत पुकारे आज मावड़ी आके लाज बचा जा ऐ भजन
भगत पुकारे आज मावड़ी,
आके लाज बचा जा ऐ,
दुःख पावे है टाबर थारा,
आके कष्ट मिटा जा ऐ,
भगत पुकारे आज मावड़ी,
आके लाज बचा जा ऐ।।
अंतरा 1:
सर पे हमारे गम के बादल,
जब-जब भी मंडराते हैं,
औ’ ना कुछ भी भावे दादी,
थारी याद सताते हैं,
सुन ले म्हारी अर्जी दादी,
मन की बात बतावा ऐ,
भगत पुकारे आज मावड़ी,
आके लाज बचा जा ऐ।।
अंतरा 2:
कर सोलह सिंगार भवानी,
म्हारे घरा जद आवोगा,
तन-मन-धन सब वार दिया माँ,
यो जीवन भी वारूंगा,
डगमग डोले नैया म्हारी,
भव से पार लगा जा ऐ,
भगत पुकारे आज मावड़ी,
आके लाज बचा जा ऐ।।
अंतरा 3:
झुँझणू की धरती पावन,
माटी तिलक लगावै जी,
दिन-दुखी दरवाजे आवे,
हर संकट कट जावै जी,
‘आकाश परिचय’ झुक-झुक दादी,
थारा दर्शन पावा ऐ,
भगत पुकारे आज मावड़ी,
आके लाज बचा जा ऐ।।
सच्चे भक्त की पुकार || Bhagat Pukare Aaj Mawadi || Akash Parichay || RaniSatiDadiBhajan
Singer : Akash Parichay Dadhich
Song : Bhagat Pukare Aaj Mawadi
Blessing From : Kaleshwar Kalindi
Video : Shree Kreatives
माँ भवानी (रानी सती माता) की महिमा अपार है और संकटमोचन स्वरूप की जननी है। "भगत पुकारे आज मावड़ी, आके लाज बचा जा ऐ" में भक्त माँ से अपने और परिवार के कष्टों को दूर करने की करुण पुकार करता है, जो उनके भक्तवत्सल स्वभाव को दर्शाता है। पहला अंतरा, "सर पे हमारे गम के बादल, थारी याद सताते हैं," दुखों में माँ की याद को एकमात्र सहारा बताता है, जबकि दूसरा अंतरा, "कर सोलह सिंगार भवानी, तन-मन-धन सब वार दिया," माँ के दिव्य सौंदर्य और भक्त के पूर्ण समर्पण को चित्रित करता है, जहाँ जीवन को भवसागर से पार लगाने की प्रार्थना है। तीसरा अंतरा, "झुँझणू की धरती पावन, दिन-दुखी दरवाजे आवे," माँ के मंदिर की महिमा और संकटमोचन शक्ति को रेखांकित करता है। एक धर्म चिंतक के दृष्टिकोण से, यह भजन भक्ति, विनम्रता और माँ की कृपा से मुक्ति के मार्ग को दर्शाता है, जो भक्तों को उनके दर्शन और शरण में जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देता है।
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