निर्वाण षटकम लिरिक्स Nirvan Shatkam Lyrics

निर्वाण षटकम लिरिक्स Nirvan Shatkam Lyrics


निर्वाण षटकम लिरिक्स Nirvan Shatkam Lyrics

॥ निर्वाण षटकम्॥
मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश:
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न मे द्वेष रागौ न मे लोभ, मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:
  धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न पुण्यं न पापं न सौख्यं, न दु:खम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा: न यज्ञा:
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न मृत्युर् न शंका न मे जातिभेद: पिता नैव मे नैव माता न जन्म
न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
न चासंगतं नैव मुक्तिर् न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥

मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥



Sounds Of Isha - Nirvana Shatakam | Chant | Vairagya

 

निर्वाण षट्कम: की रचना किसने की थी ?

निर्वाण षट्कम: की रचना आदि शंकराचार्य जी ने की थी .

निर्वाण षट्कम क्या है ?

निर्वाण षट्कम का मूल भाव वैराग्य को माना गया है। निर्वाण षट्कम को सहज और सरल प्रवाहपूर्ण संस्कृत में लिखा गया है। आदि गुरु शंकराचार्य के अपने गुरु बाल शंकर से सर्वप्रथम भेंट के अवसर पर उनके गुरु ने उनसे कहा की तुम्हारा परिचय क्या है, तू कौन हो ? इस पर जो शकराचार्य जी ने उत्तर दिया वही निर्वाण षट्कम के नाम से विख्यात है। आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित एक सुंदर कविता है, जिसमें ज्ञान की स्थिति, परमार्थिक सत्य को बहुत ही खूबसूरती के साथ वर्णन किया गया है। निर्वाण षट्कम में आदि गुरु शंकराचार्य जी बताते हैं की जीव क्या है और क्या नहीं है। मूल भाव है की आत्मा जिसे जीव भी कहा जा सकता है वह किसी बंधन, आकार और मनः स्थिति में नहीं है। वह ना तो जन्म लेते है और ना ही उसका अंत होता है। वह शिव है।
 
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