भोले ओ भोले मैं हारा तो पुकारा मेरे पाँव में है छाले आजा ओ डमरू वाले भोले ओ भोले। भोले ओ भोले मैं हारा तो पुकारा मेरे पाँव में हैं छाले, आजा ओ डमरू वाले, भोले ओ भोले।
कावड़ बड़ी लगन से कंधे पे मैंने धारी मजबूर दस तेरा मंजिल है दूर है भारी साहस टूट गया है सारा चलने से लचर बेचारा आकर लाज बचाले मेरे पाँव में हैं छाले, आजा ओ डमरू वाले, भोले ओ भोले।
तेरी दया का दाता, चहु और शोर भारी, टूटी हुए है नैया मेरी बड़ी दूर है किनारा, अगर दया तेरी हो जाये नाँव पार मेरी हो जाये भक्तो के रखवाले मेरे पाँव में हैं छाले, आजा ओ डमरू वाले, भोले ओ भोले।
कावड़ जो रुक गयी तो जिन्दा ना रह सकूंगा उपहास ये जहा का, हरगिज़ ना सह सकूंगा आज भक्त का मान बचा ले नाम ना हो बदनाम बचा ले नील कंठ मतवाले मेरे पाँव में हैं छाले, आजा ओ डमरू वाले, भोले ओ भोले।
हर ले ये कष्ट मेरा अगर तू है कस्ट हारी पागल विमल खड़ा है तेरे द्वार बन भिखारी करता है विनय बृजवासी, दरस दिखा दो घट घट वासी कृपा कर अपनाले मेरे पाँव में हैं छाले, आजा ओ डमरू वाले, भोले ओ भोले।